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Agri Bharat Samachar -  Indore, Jhabua and MP Hindi News

मध्य भारत संपादक अली असगर बोहरा की विशेष रिपोर्ट

Questions were raised on the silence of the railway administration, the working style of the contractor who was inviting the big railway accident.

मेघनगर। जेएसडब्ल्यू कंपनी मुंबई कर्नाटक द्वारा अधिकृत ट्रांसपोर्टर कटारिया इंदौर द्वारा प्लेटफार्म से हैवी गेज लोहे की क्वाॉयल को अब मेघनगर के रेलवे रेक से नियम विरुद्ध उठाई जा रही है। नियमानुसार जो लोहे की क्वॉयल मेघनगर के रेलवे रेक पाइंट पर खाली होती है, इस तरह की क्वॉयल की अनुमति शासन द्वारा कतई नहीं दी जाती है। क्योंकि जिस रेक पाइंट पर यह लोहे की क्वॉयल ठेकेदार द्वारा खाली की जा रही है उसे वह सीधे वैगन पर क्रेन लगाकर उसे उठा रहा है, और क्वॉयल उठाने के दौरान अगर क्रैन टूटी तो यह लोहे की क्वॉयल से गंभीर जानमाल का नुकसान होगा। जबकि यह रेलवे का कार्य यहां पर 24 घंटे किया जा रहा है ऐसे में ठेकेदार की लापरवाही के कारण रेलवे स्टेशन वैगन के समीप होने पर यहां से रेल गाडिय़ा स्पीड से गुजरती है। ऐसी स्थिति में क्रेन वैगन से लोहे की हजारों टन की क्वॉयल उठाती है अगर यह क्रेन आसपास की पटरियों या रेलवे की हाई वॉल्टेज विद्युत लाइन पर गिर जाए तो भीषण जान-माल का नुकसान हो सकता है। 


इस तरह का कार्य नियम विरुद्ध नहीं किया जा सकता है, लेकिन रीच स्टेकर मशीन से क्वॉयल को उठाने की प्रक्रिया अगर रेलवे प्रशासन ने जल्द ही नहीं रुकवाई तो हादसे के लिए वह जिम्मेदार होगा। इस प्रक्रिया के चलने से नागरिको में रोष व्याप्त है। 

संसाधन हो चुके पुराने-

जनचर्चा का विषय बना हुआ है कि ठेकेदार द्वारा जिस क्रेन से क्वॉयल उठाई जा रही है वह काफी पुरानी होकर ज्यादा भार उठाने में समक्ष नहीं है। जबकि प्रति क्वॉयल का वजन लगभग 25-30 टन रहता है एवं उठाने वाली क्रेन की वजन क्षमता 15 से 20 टन ही है। ऐसी स्थिति में 15 से 20 टन वाली क्रेन कब तक वजन उठाएगी यह आसानी से समझा जा सकता है। ठेकेदार की हठधर्मिता के चलते जिस पुरानी क्रेन से क्वॉयल उठाने का कार्य किया जा रहा है, वह कर्नाटक पासिंग है जिसका मध्यप्रदेश परिवहन का न तो टैक्स भरा हुआ है और ना ही उनके आरटीओ रजिस्टे्रशन में क्वॉयल उठाने का स्पष्टीकरण है। ऐसी स्थिति में टैंक उठाने वाली क्रेन से क्वॉयल उठाने का कार्य नियम विरुद्ध किया जा रहा है, जो काफी घातक होकर मध्यप्रदेश शासन को भी टैक्स का चूना लगाया गया है।



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