ब्रह्मांड और आस्था’ है इस साल के प्रवचन का विषय।
अग्री भारत समाचार से मध्य भारत संपादक मु. अली असगर इज़्जी के साथ मु. शफ़क़त दाऊदी की रिपोर्ट✍️*
चेन्नई । दुनियाभर में फैले दाऊदी बोहरा समुदाय के 53 वें धर्मगुरु सैयदना मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन साहब ने चेन्नई की सैफी मस्जिद से इस साल के प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम ‘अशरा मुबारका’ का शुभारंभ किया। अपने पहले दिन के संबोधन में उन्होंने अपने पिता, दिवंगत सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहेब द्वारा 50 वर्ष पहले चेन्नई में दिए गए प्रवचनों को याद किया और इस शहर से जुड़ी पुरानी यादों और भावनात्मक संबंधों का ज़िक्र किया।
सैयदना ने बताया कि कैसे अतीत में कई बोहरा परिवार गुजरात के सिधपुर से चेन्नई आकर यहां बसे और आगे बढ़े। उन्होंने अपने संबोधन में इस साल के प्रवचनों के मुख्य विषय की भी घोषणा की—‘ब्रह्मांड और आस्था’। उन्होंने कहा कि इस बार हर दिन वह सितारों, ग्रहों, और ब्रह्मांड की अद्भुत रचना के बारे में बात करेंगे और इसे जीवन और आस्था से जोड़ेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि जैसे सितारे रात के अंधेरे में राह दिखाते हैं, वैसे ही इतिहास में कुछ महान लोग भी इंसानियत का मार्गदर्शन करते रहे हैं। उन्होंने धर्म और विज्ञान के बीच के रिश्ते को उजागर करते हुए बताया कि दोनों एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझने और दुनिया को समझाने में मदद करते हैं।
सैयदना ने प्रेम को सबसे बड़ी ताकत बताया और कहा कि सच्चे प्रेम से ही इंसान सेवा, दया और भाईचारे की ओर बढ़ता है। उन्होंने चेन्नई के स्थानीय बोहरा समुदाय की सराहना करते हुए कहा कि यहाँ के लोगों ने सभी धर्मों और जातियों के साथ मिलकर इंसानियत की मिसाल पेश की है।
कार्यक्रम के अंतिम हिस्से में सैयदना ने हज़रत इमाम हुसैन की कुर्बानी और करबला की ऐतिहासिक घटना को याद किया, जिसे समुदाय हर साल याद करता है। उन्होंने कहा कि यह स्मरण हमें आपसी हमदर्दी, प्रेम और एकता के मूल्यों की याद दिलाता है।
इस साल चेन्नई में आयोजित इस आयोजन में लगभग 43,000 लोग हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें से 8,000 स्थानीय निवासी हैं और करीब 35,000 लोग देश-विदेश से आए हैं। मुख्य कार्यक्रम सैफी मस्जिद में हो रहा है, जिसे शहर के अन्य नौ स्थानों पर भी लाइव प्रसारित किया जा रहा है, जिनमें विंग्स कन्वेंशन सेंटर, वायएमसीए ग्राउंड और बिन्नी ग्राउंड शामिल हैं। साथ ही यह आयोजन दक्षिण भारत के कई शहरों जैसे कोयंबटूर, इरोड, सलेम और मध्य भारत के विभिन्न इलाकों में भी देखा जा रहा है।
अशरा मुबारका इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मोहर्रम की 2 से 10 तारीख़ तक मनाया जाता है। यह समय पैगंबर मोहम्मद और उनके नाती इमाम हुसैन की याद में पूरी श्रद्धा और संवेदनाओं के साथ मनाया जाता है। इस दौरान दुनिया भर में बोहरा समुदाय के लोग एक साथ इकट्ठा होकर सुबह-शाम प्रवचन सुनते हैं।
इन प्रवचनों में कुरान की शिक्षाओं, इतिहास और सामाजिक मूल्यों पर चर्चा होती है, जो आज की जिंदगी से भी जुड़ी होती हैं। यह कार्यक्रम न केवल समुदाय को आत्मिक रूप से सशक्त करता है बल्कि बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा भी देता है।
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