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Agri Bharat Samachar -  Indore, Jhabua and MP Hindi News

अग्रि भारत समाचार से अमित जैन (नेताजी) की रिपोर्ट

The arbitration settled the couple, the district judge explaining the husband and wife.

झाबुआ । मध्यस्थता प्रक्रिया के माध्यम से न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री प्रतिभा वास्कले के न्यायालय में लंबित विविध आपराधिक प्रकरण 1/2020 श्रीमती भारती विरूद्ध राहुल जो घरेलू हिंसा, प्रताड़ना और पारिवारिक विवाद से संबंधित मामला था। पत्नी भारती की ओर से पति राहुल के विरूद्ध मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का मामला पेश किया गया था, जिसका मध्यस्थता के द्वारा सुलह-समझौता के आधार पर 20 जनवरी 2021 को अंतिम रूप से निराकरण किया गया। इसके पूर्व मामले को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में मीडिएशन के लिए रैफर किया गया। पति-पत्नी के मध्य जिला जज श्रीराजेश कुमार गुप्ता के द्वारा समझौता वार्ता कराई गई एवं पति-पत्नी को साथ-साथ रहने की समझाईस देकर दोनों में सुलह कराई तथा भविष्य में शांतिपूर्वक दाम्पत्य जीवन निर्वाह करने के लिये प्रेरित किया। मध्यस्थता प्रक्रिया में सुलह-समझौते के आधार पर विवादों का समाधान शीघ्रता से एवं कम खर्चीली और सरल प्रक्रिया के द्वारा किया जाता है संपत्ति विवाद, पारिवारिक विवाद, चैक बाउंस एवं आपराधिक राजीनामा योग्य मामलों में पक्षकारों द्वारा आपसी बातचीत के द्वारा सुलह-समझौते के आधार पर मामले का निराकरण कराया जाता है। मध्यस्थता के परिणाम स्वरूप पक्षकारों के समय और खर्चों की बचत होती है तथा एक सर्वमान्य समाधान होने से पुनः सद्भाविक संबंध स्थापित हो जाते है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अंतर्गत संचालित मध्यस्थता केन्द्र में भी अपर जिला न्यायाधीश सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री राजेश देवलिया के द्वारा दोनों पक्षों को आपसी सामंजस्य बनाये रखने तथा सुखमय वैवाहिक जीवन निर्वाह के लिये शुभकामनाऐं देकर न्यायालय परिसर से रवाना किया। पीड़िता पत्नी श्रीमती भारती एवं पति राहुल ने पुनः साथ-साथ रहने के लिये सहमति व्यक्त की और दोनों एक साथ न्यायालय परिसर से ही खुशी-खुशी अपने घर गये। इस प्रकार एक बिखरा हुआ परिवार मध्यस्थता के माध्यम से पुनः एक होकर जुड़ गया। विवादों के शांतिपूर्वक उचित समाधान के लिये न्यायालयीन प्रक्रिया लंबी और कष्टकारी रहती है। जबकि वर्तमान समय में मध्यस्थता के द्वारा शीघ्र और सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे है। इसमें किसी भी पक्षकार की न तो हार होती है, और न ही किसी पक्षकार की जीत होती है, बल्कि दोनों ही पक्षकार संतुष्ट होकर प्रसन्न रहते है और एक सर्वमान्य फैसले को स्वीकार कर लेते है। उनके मध्य कटुता एवं वैमनस्यता भी समाप्त हो जाती है तथा आपसी सद्भाव पुनः कायम हो जाता है। पक्षकारों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्मम से मध्यस्थता प्रक्रिया का सहारा लेकर अधिक से अधिक मामलों के निराकरण के लिए पहल करना चाहिए। प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर पक्षकारों और अधिवक्ताओं के लिये मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है एवं यह नारा सार्थक हो रहा है कि मध्यस्थता से फैला उजियारा, समझौते से झगड़ा हारा।




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