अग्रि भारत समाचार से अली असगर बोहरा मो.न. 8962729652
झाबुआ । मौसम विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश के कई जिलों में तापमान तेजी से बदलाव हो रहा है। तापमान में कमी आने पर कीट व्याधि प्रकोप एवं फसलो मे पाला लगने की आशंका बनी हुई है। ऐसी स्थिति में गेहूं, चना, कपास तथा सब्जी वर्गीय फसलें प्रभावित होने की संभावना रहती है। जिले में फसलों को कीट व्याधि, पाले से बचाव के लिए किसान को निम्नानुसार सलाह दी जा रही है अपने खेतों की निरंतर निगरानी करें। कीट व्याधि की प्राथमिक स्थिति मे हीं प्रकोप की अवस्था अनुसार उपचार करे। कपास फसल मे गुलाबी ईल्ली के प्रकोप की संभावना बनी हुई है कपास फसल के 70 से 80 दिन की अवस्था मे अण्डे देती है, अण्डे से लार्वा निकल कर कपास के पूडी मे छेद कर नुकसान पहुचाता है।
प्रारंम्भिक स्थिति मे जब फूल से पूडी बनने की स्थिति मे आसानी से कीटनाशक प्रोपेनो सायपर का कपास फसल पर छिडकाव कर नियंत्रण किया जा सकता है। रबी मौसम मे मक्का फसल मे फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप पाये जाने पर फ्लू बेंन्डामाईट 20 डब्ल्यू.डी.जी. 250 ग्राम प्रति हैक्टेयर या स्पाईनोसेड 45 ई.सी., 200-250 ग्राम प्रति हैक्टेयर,या इथीफेनप्रॉक्स 10 ई.सी. 1 लीटर प्रति हैक्टेयर या एमिमामेक्टीन बैंजोएट 5 एस.जी.का 200 ग्राम प्रति हैक्टेयर मे कीट प्रकोप की स्थिति अनुसार 10-15 दिन के अंतराल मे छिडकाव करे। घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी मे घोल बना कर छिडकाव करें। गंधक के अमल का 0.05 प्रतिशत - 0.1 प्रतिशत घोल का छिडकाव करें। इन रासायनिक उपायों में से कोई एक ही उपाय किया जा सकता है।
आवष्यकतानुसार यूरिया का टॉप ड्रेसिंग किया जा सकता है। खेतो की मेढो पर शाम के समय धुंआ करें। किसान भाई नजदीकी कृषि कार्यालय अथवा मैदानी कृषि अमले से सम्पर्क कर उचित सलाह लें। कृषि विज्ञान केन्द्र से भी सम्पर्क कर उचित सलाह लें। कृषक बन्धु उक्त सलाह का समायोचित ढंग से उपयोग कर अपनी फसलों को कीट व्याधि प्रकोप से सुरक्षित रखे। गेहू, चना, कपास, सरसों, टमाटर, मटर, आलू, मिर्ची, कद्दु वर्गीय सब्जीयॉ, भिण्डी जैसी फसले पाले के प्र्रति अधिक संवेदनशील होती है कृपया इन फसलों का विषेष ध्यान रखें।
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