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अग्रि भारत समाचार विदिशा✍️


विदिशा । विशेष न्यायालय अनु. जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अधीन विशेष सत्र न्यायाधीश श्रीमती माया विश्वनाथ ने आरोपी पुष्पा बाई पत्नी मेंबर सिंह उम्र 40 वर्ष निवासी बंटी नगर विदिशा की जमानत याचिका खारिज की। 

मीडिया सेल प्रभारी साकेत गोयल ने घटना के संबंध में बताया पीड़िता जिसकी उम्र घटना के समय 17 वर्ष की थी। घटना दिनांक के 2 साल पूर्व से अपनी उसकी बहन के यहां विदिशा में रहती थी। लोहंगी निवासी विदिशा का अभिषेक अहिरवार उसकी दीदी क्या आता जाता रहता था। तभी उसकी दोस्ती अभिषेक से हो गई। वह दोनों विदिशा में साथ रहने लगे फिर बासौदा चले गए। बासौदा में दो तीन माह किराए से रहने के बाद वे दोनों विदिशा आ गए। वहां दोनों आरोपी पुष्पा के मकान में किराए से रहते थे। वह पीड़िता को पता चला कि जहां वे किराए से रहती है। वहां गलत काम होता है। पीड़िता जब भी घर छोड़कर जाना चाहती थी। तभी उसे अकेला समझ कर डरा धमका कर अभियुक्त अभिषेक उसे वेश्यावृत्ति में शामिल नहीं होने पर बदनाम करने की धमकी दी और वेश्यावृत्ति कराने लगा। आरोपी   पुष्पा बाई की और से अभियुक्त अभिषेक सौदा तय करते थे और उसे जबरदस्ती धंधा करवाने के लिए ले जाते थे। आरोपी पुष्पा बाई और अभियुक्त अभिषेक के द्वारा पीड़िता से करीब एक, डेढ़ वर्ष तक वेश्यावृत्ति करवाई गई। घटना की सूचना दिनांक 29.8.2020 को देहात बासौदा विदिशा में दी गई। जिस पर से अभियुक्त के विरुद्ध अपराध क्रमांक 462/2020 के तहत भा द बि की धारा 363, 366-A, 370, 376(2), 34 एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 3/4, 5/6 तथा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम की धारा 3(2)(V), 3(2)(va) के अंतर्गत मामला पंजीबद्ध किया। उक्त प्रकरण में पुलिस द्वारा आरोपी को विशेष न्यायाधीश (एट्रोसिटी एक्ट) के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।

उक्त प्रकरण में विशेष लोक अभियोजक श्री इंद्र प्रकाश मिश्रा जी द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया की अवयुक्तगण के द्वारा वेश्यावृत्ति के जरिए अयस्क बालिका को पैसा लेकर अन्य लोगों के पास भेजा गया । जहां कई लोगों के द्वारा पीड़िता के साथ बलात्कार किया गया। नाबालिक से किए गए अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत निरस्त किए जाने का अनुरोध किया गया। अभियोजन की ओर से पक्ष सुनने के बाद आरोपी की जमानत न्यायालय द्वारा निरस्त की गई।

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