अग्री भारत सामाचार से इब्राहिम रिज़वी की रिपोर्ट।
बड़वानी । सूरत शहर की सूरत इन दिनों बदली हुई है। हीरे की चमक और और कपड़ों के लिए विख्यात सूरत अभी बोहरा समाजजनों के चेहरे पर चमक और सफेद झक कपड़ों मे हजारों की तादाद मे अपने दाईज्ज़मान की मिलाद मनाने के लिए यहां आए बोहरा समाजजनों की खुशी का साक्षी बन रहा है। झापा बाजार स्थित मस्जिद ए मोअज्जम,सात दाईयों के रोजा मुबारक दरगाह ए सैफी,जामेआ तु सैफिया,देवड़ी मुबारक, महादुज्जहरा की सजावट और रौनक देखते ही बनती है। बोहरा समाजजनों के घर और मोहल्ले भी दुल्हन की तरह सजे है। हों भी क्यों ना बोहरा समाज के 52 वे दाई डॉक्टर सय्यदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन मौला (रि.अ.) की 113वी जयंती और 53 वें दाई डॉक्टर सय्यदना आलीकदर मुफद्दल सैफुद्दीन मौला की 81 वी मिलाद का अवसर है। सय्यदना आलीकदर मुफद्दल सैफुद्दीन मौला की 81 वी मिलाद की खुशी मे समाजजनों के चेहरों पर खुशी देखते ही बनती है। सय्यदना साहब के दीदार और सात दाईयों की ज्यारत के लिए देश, विदेश से बड़ी संख्या मे बोहरा धर्मावलंबियों का जमावड़ा सूरत मे हुआ है।
अलसुबह फजर की नमाज़ बाद आलीकदर मौला सात दाईयों की ज्यारत के लिए पधारते है। सुबह के खुशनुमा वातावरण मे मुफद्दल मौला के मुस्कुराते चेहरे का दीदार कर छोटे हो या बड़े,बुजुर्ग हो या बच्चे सभी की आंखों से खुशी के आंसू निकल पड़ते है। मौला मुबारक, मौला मुबारक और मौला एक नज़र की सदा ठंडे वातावरण मे रुहानियत को घोल देती है। सय्यदना साहब पालकी पर खड़े होकर जब चारों और घूमकर सलामी देते है तो उस क्षण वक्त मानों ठहर जाता है। मोमीनीन को देखकर मौला के चेहरे पर मुस्कान और मोमीनीन की खुशी का तो क्या कहना उस लम्हें कों शब्दों मे बांध पाना मुश्किल। ये पावन और मुकद्दस ऐहसास को बस महसूस किया जा सकता हैं । सालगिरह की पूर्व संध्या 22 अक्टूबर पर अलग अलग जगह से समाज के आए स्काउट बैंड वाद्य यंत्रों पर सुमधुर धुन माहौल मे रुमानियत का एहसास कराएंगे । बुधवार 23 अक्टूबर को मिलाद के दिन सय्यदना आलीकदर सैफुद्दीन मौला मस्जिद ए मोअज्जम मे वाअज करेंगे। आपके नूरानी कलेमात और इमाम हुसैन की शहादत सुनने का सूरत शहर साक्षी बनेगा।विश्व शांति और मोहब्बत के संदेश वाहक सय्यदना आलीकदर मुफद्दल सैफुद्दीन मौला को 81 वी मिलाद मुबारक ।
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