लेखक मुफज्जल हुसैन .✍️
इंदौर। गांधी जी का दर्शन विचार और कार्यशैली हर दौर में प्रासंगिक थी और रहेगी । पापी से नही बल्कि पाप से घृणा का पाठ पढ़ाने वाले मोहनदास अंततः नफरतजन्य राजनीति का शिकार हो गए किंतु उनके विचारों की सुरभि आज भी महकती है । गांधी जी ने हमेशा व्यक्ति से बढकर कार्य व श्रम की महत्ता के सिद्धांत को स्थापित किया यही कारण था कि उनके द्वारा संचालित प्रत्येक संस्था या आश्रम में हर छोटे बड़े , अमीर गरीब को समान रूप से अपने कार्यों को निष्पादित करने में श्रम करना होता था । भारत की अंतर आत्मा में गांधी जी इस प्रकार रचे बसे है कि उन्हें विलोपित करने की लाख कोशिशें की जाए वे और दृढ़ता से स्थापित होते चले जायेंगे ।
सदाचारी आचरण , सत्यव्रत , अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करना , अपनी आस्था पर दृढ़ रहते हुए दूसरे की आस्था का मान सम्मान जैसे बुनियादी उसूलों पर चलते हुए मोहनदास करमचंद गांधी पूरे विश्व पटल पर छाए रहे बल्कि निर्विवाद रूप से सराहे भी गए । बापू की सनातन के प्रति अडिग आस्था थी और वे गौ संरक्षण संवर्धन के प्रबल हिमायती भी थे । गांधी पूरे भारत को एक इकाई के रूप में देखते हुए अंग्रेजों के फैलाए हुए इस भ्रम को खारिज करते थे कि भारत अलग अलग क्षेत्रीयता का समुच्चय है । गांधी ने अपने प्रभाव व आभामंडल का क्षणिक लाभ भी अपनी संतति को न देकर परिवारवाद या विरासतवाद को नकार दिया । तामझाम व लकदक संस्कृति से दूर उनकी आम आदमी जैसी कार्यशेली ने उन्हे पूरे भारत के अंतर्मन में बसा कर बापू के खिताब से नवाज दिया ।
गांधी के आदर्शों और सिद्धांतो की राजनीति पर विरासत का दावा करने वाले दलों को परिवारवाद से भी दूर रहना चाहिए एवं भारत को एक इकाई एक राष्ट्र मानकर राज्यों के समूह की धारणा को सिरे से खारिज करना चाहिए । चूक तो देवताओं अप्सराओं और अवतारों से भी हुई है फिर तत्कालीन गुलाम भारत को गुलामी की नियति से मुक्त करने का ख्वाब संजोने वाले और उसे मूर्त रूप में परिणित करने वाले हमारे अपने बुजुर्ग नेतृत्वकर्ता आखिर इंसान ही तो थे । उनसे भी चूक हुई होगी इससे इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन हमे अपने नेताओं को संपूर्णता में देखने का नजरिया विकसित करना चाहिए । केवल छिद्रान्वेषण करने से हमारा हाल उस मक्खी जैसा हो जायेगा जो पूरे साफ सुथरे शरीर को छोड़कर सिर्फ घाव व गंदगी का ही रुख करती है ।
ईमाम हुसैन के चरित्र , शहादत एवम सत्य की जंग से गांधी जी खासे प्रभावित थे । एक बार उन्होंने कहा था कि काश हुसैन की छोटी सी फौज जैसे शूरवीर व जां निसार मेरे पास होते तो मैं भारत को कब की आजादी दिला चुका होता । आज गांधी जी की 155 वी जयंती पर उन्हें सादर नमन । उनके विचारों और सिद्धांतो को अपनी कार्यशैली में ढालना और तदनुसार आचरण करना बापू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
Post a Comment