अग्रि भारत समाचार से ब्यूरो चीफ मु. शफकत दाऊदी की रिपोर्ट ।
आलीराजपुर । जिले के नानपुर में रविवार के दिन चौराहे पर टंट्या भील की फोटो लगाकर शहादत पर माल्यार्पण किया टंट्या भील को कभी इतिहास में छुपाया गया कभी पुस्तकों में छुपाया गया आज जगह- जगह आदिवासियों के बीच में इतिहास के पन्नों से खोलकर सामने ला रहे हैं सारे राजनीतिक दल टांटिया के नाम से पुकारने लगे इसी को रॉबिनहुड सूर्यकांत भगवान टंट्या भील के नाम से जाने जाते हैं। जननायक टंट्या भील आजादी के आंदोलन में उन महान नायकों में शामिल है, जिन्होंने आखिरी सांस तक अंग्रेजी सत्ता की नाक में दम कर रखा था. टंट्या भील को आदिवासियों का रॉबिनहुड भी कहा जाता है, क्योंकि वो अंग्रेजों के भारत की जनता से लूटे गए माल को अपनी जनता में ही बांट देते थे। टंट्या भील को टंट्या मामा के नाम से भी जाना जाता है। 4 दिसंबर को उनका बलिदान दिवस जगह जगह मनाया जा रहा है“ समाजिक कार्यकर्ता नवलसिंह मंडलोई ने कहा की आज सरकार भी टंट्या भील की मूर्ति जगह- जगह लगाने की घोषणाएं कर रही है और लगा रही है टंट्या भील आदिवासियों का भगवान माना जाता है। इसलिए सरकार को भी उन्हें याद करने के मजबूर किया आदिवासी के अपने कुशल नेतृत्व क्षमता से आदिवासियों को सामाजिक एकता में पिरोने वाले एवं अपनी संस्कृति को बाहरी प्रभाव से बचाने वाले वीर टंट्या मामा को हम शत शत नमन करते हैं। जयस के मालसिंह तोमर, महेश चौहान, नवलसिंह बघेल बापू कनेश, बबलू बामनिया, दिलीप वसूनिया, भीलसिंह बघेल, हार्दिक बघेल, मुकेश चौहान अधिक संख्या में समाज जनों के द्वारा माल्यार्पण कर अर्धांजलि अर्पित की।
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