अग्रि भारत समाचार से राकेश लछेटा की रिपोर्ट
झकनावदा । 22 जुलाई शुक्रवार शाम को झकनावदा गड़ी के पीछे एक राष्ट्रीय पक्षी मोर करंट लगने से जमीन पर गिर गया। जिसको देखकर वहां खड़े राधेश्याम पिता गोपाल जमादारी ने तुरंत राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के उत्तर भारत उपाध्यक्ष मनीष कुमट (जैन) को फोन पर इसकी सूचना दी। जिसके बाद तुरंत कुमट व नमन पालरेचा मौके पर पहुंचे जहां से मोर की स्थिति गंभीर देख उन्होंने पशु चिकित्सक आवासीय को फोन पर इसकी सूचना दी इतने मोर ने अपना दम तोड़ दिया। जिसके बाद चिकित्सक के द्वारा मोर को मृत घोषित कर दिया। बाद मृत मोर को गो सेवक संतोष भाई सेमलिया को सुपुर्द किया बाद उन्होंने मृत मोर को पशु चिकित्सालय में रखा। तो बाद में कुमट ने वन विभाग पेटलावद के डिप्टी रेंजर हींगाड़ को कॉल करके सूचना दी कि झकनावदा में एक मोर की करंट लगने से मौत हो गई है। बाद उक्त सूचना प्राप्त होते ही शनिवार को सुबह वन विभाग से शैलेश वसुनिया झकनावदा पहुंचे जहां मृतक मोर को राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग की टीम के कुमट, नमन पालरेचा,दिलीप भूरिया, राधेश्याम जमादारी,जीवन बैरागी, यश जमादरी, श्रेणिक कुमार राठौड़ (लालू) ने सुपुर्द किया ।
झकनावदा व आसपास के क्षेत्र में कुल 400 से अधिक मोरों की संख्या है इस हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग की टीम व झकनावदा जीव दया समिति के सदस्यों के द्वारा कई बार तत्कालीन कलेक्टर आशीष सक्सेना एवं सांसद व मंत्रियों को आवेदन के माध्यम से मोर अभ्यारण केंद्र की मांग की गई। लेकिन भारत के इस राष्ट्रीय पक्षी मोर कै लिए मोर अभ्यारण केंद्र बनवाने हेतु किसी का कोई ध्यान आकर्षित नहीं हुआ । यदि धीरे-धीरे इसी प्रकार मोर जंगली जानवर या किसी दुर्घटना के शिकार होते रहे तो हमारे देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर धीरे धीरे यह प्रजाति विलुप्त हो जाएगी एवं आने वाली पीढ़ी केवल किताबों में पढ़ पाएगी कि हमारा राष्ट्रीय पक्षी मोर था। इस और शासन प्रशासन को ध्यान देना अनिवार्य है।
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