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अग्रि भारत समाचार से डॉ. हितेंद्र खतेडीया की रिपोर्ट

रंभापुर । तीर्थधाम पीपलखूंटा में (श्री दाड़की वाले बाबा ) एवं कथालाभार्थी यजमान श्री रंगलाल जी खंडेलवाल श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन पुरुषोत्तम शरण शास्त्री जी महाराज (श्रीधामवृंदावन) ने कहा कि भागवत कथा सभी का कल्याण करने वाली है भागवत कथा जीने की कला सिखाती है। 

 उन्होंने कहा कि धन को पवित्र कर्मों में लगाकर सदुपयोग करें। सब यहीं रह जाएगा। पापी व्यक्ति भी श्रीमद् भागवत कथा के रसपान से मोक्ष की प्राप्ति करता है। मन को भटकने से बचाने के लिए हमेशा भागवत चर्चा में लीन रहना चाहिए। जीवन में हमें तीन प्रकार की दुख प्राप्त होते हैं। पहला दुख परिवार से प्राप्त होता है, दूसरा दुख है सगे संबंधियों वह संपर्क के व्यक्तियों से होता है, तीसरा दुख देवियां आपस से मिलता है। हम सभी सुख चाहते हैं दुख कोई नहीं चाहता। हमें पुरुषार्थ करने की जरूरत है वह भी धर्म के अनुरूप करना पड़ेगा।हमारे कर्म के अनुसार ही हमें सुख दुख प्राप्त होता। श्रीमद् भागवत कथा में जीने की कला को सिखाती है।हमारा जीवन किस प्रकार से होना चाहिए शरीर बदलता रहता है जन्म मृत्यु का चक्कर चलता रहता है परमात्मा सब के अंदर विराजमान रहता है। साथ ही साथ ब्राह्मणों द्वारा 21 मुलाभागवत पाठ परायण प्रतिदिन किया जा रहा है कथा का समापन 6 अक्टूबर 2021 को किया जाएगा।

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