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Agri Bharat Samachar -  Indore, Jhabua and MP Hindi News

अग्रि भारत समाचार से अमित जैन (नेताजी) की रिपोर्ट

झाबुआ । सहायक जिला मीडिया प्रभारी (अभियोजन) सुश्री शीला बघेल, एडीपीओ, जिला झाबुआ द्वारा बताया गया कि न्यायालय श्रीमान संजय चौहान साहब, प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश, झाबुआ, जिला झाबुआ द्वारा अभियुक्त दीपक पिता रामचन्द्र  निवासी ग्राम टिमरवानी को धारा 302 भा.द.वि. में आजीवन सश्रम कारावास तथा 5000 रूपये के अर्थदण्डव तथा धारा 294 भा.दं.वि. में 03 माह का सश्रम कारावास तथा 500 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। शासन की ओर से प्रकरण में संचालन श्री एस.एस. खिची, जिला लोक अभियोजन अधिकारी,  जिला झाबुआ  द्वारा किया गया । अभियोजन की कहानी इस प्रकार है कि फरियादी रमिला मुनिया ने दिनांक 13.04.2020  को रिपोर्ट लेखबद्ध करवाई की फरियादी और उसका देवर दीपक दोनों ग्राम टिमरवानी के एक ही मकान में अलग-अलग कमरे में रहते हैं। रात 10.15 बजे फरियादी और उसका पति दिनेश फरियादी की सास शंदुबाई व दोनों लड़के सभी खाना खाकर घर के बाहर बैठे थे, फरियादी का देवर दीपक पिता रामचन्द्र मुनिया उसके कमरे में बैठा था और फरियादी के पति दिनेश को मां-बहन की नंगी-नंगी गालियां देने लगा तो फरियादी के पति  दिनेश ने दिपक को बोला की गाली क्यों दे रहा है इस पर दिपक बोला की तु हमेशा मेरे को कुछ न कुछ बोलता ही रहता है। आज मैं तेरे को निपटा ही देता हूं कहकर हाथ में लिए चाकू से जान से मारने की नियत से फरियादी के  पति दिनेश को सीने में मारा, जिससे सीने में गहरा घाव होकर खून निकलने लगा। फरियादी की सास ने बीच-बचाव किया। दीपक चाकु लेकर भाग गया। घटना फरियादी के दोनों लड़कों ने देखी। फरियादी का पति दिनेश वहीं नीचे जमीन पर गिर गया और मौके पर ही मौत हो गई कि रिपोर्ट थाना थांदला में की थी। फरियादी की रिपोर्ट पर धारा 302, 294 भा.दं.वि. का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। अनुसंधान पूर्ण कर अपराध गंभीर प्रकृति का होने से जिले का चिह्नित एवं सनसनीखेज जघन्य घोषित कर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। विचारण के दौरान माननीय प्रथम अपर सत्र न्यायालय श्री संजय चौहान साहब द्वारा आरोपी दीपक पिता रामचन्द्र निवासी टिमरवानी को दिनांक 16.09.2021 को दोषी पाते हुए निर्णय पारित कर अभियुक्त  दीपक को धारा 302 भादवि में आजीवन सश्रम कारावास तथा 5000 रूपये के अर्थदण्ड  तथा धारा 294 भा.दं.वि. में 03 माह का सश्रम कारावास तथा 500 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है।

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