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Agri Bharat Samachar -  Indore, Jhabua and MP Hindi News

अग्रि भारत समाचार से अमित जैन (नेताजी) की रिपोर्ट




झाबुआ। भगवान महावीर से यह शिक्षा मिली है कि जिसके अंदर क्षमा भाव है वह वीर है | “क्षमा वीरस्य भूषणम्” सूत्र को जीवन मे अपनाया जाना चाहिए | क्रोध की जब सवारी आती है, तो ज्ञान और क्षमा का गुण रफू-चक्कर हो जाता है | क्षमा शब्दों से नही समर्पण भाव से करना चाहिए । यह पर्युषण पर्व हमारे जीवन मे क्षमा का भाव दे सकता है | उपरोक्त प्रेरक उद्बोधन पूज्य मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी मसा ने रविवार स्पेशल “क्षमापना “विषय पर अष्टान्हिका प्रवचन के अंतिम दिन विशेष प्रवचन में स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में धर्ससभा मे कहें | उन्होने कहा की जीवन मे सहने का गुण और क्षमा करने का गुण आना चाहिए | जिससे स्वभाव को बदल कर समता भाव प्राप्त कर सकते हैं | एक काटा नुकसान कर सकता है, तो हमने हजारो काटे मन मे रख रखे हैं, सोचो कितना नुकसान हमारा हो सकता हे | बात-बात पर क्रोध आए, वो बेकार है । यह पर्युषन पर्व ऐसे लोगो का कल्याण करने आया है, जो क्रोधी है और अपना स्वभाव बदल नही सकते हैं । उन्होने कहा कि क्षमा करना चाहिए, क्रोध को त्यागना चाहिए | स्वीकार करना विकास का गुण है और प्रतिकार करने से विकास रुक जाता है । लोक प्रसिद्ध कोई भी हो सकती है लोकप्रिय हर कोई नही हो सकता है, जो सहनशील होता है वही लोकप्रिय हो सकता है । अपने जीवन मे छोटी छोटी बातों को सहना सीखे | जो सहता है वह रहता है | क्षमा अपने जीवन मे अंगीकार करने का यह पर्युषन पर्व है। क्षमा से सभी को जीता जा सकता हे | क्रोधी के अवगुण कभी भी प्रगट होंगे । क्षमा और क्रोध में से क्षमा का चयन करना चाहिए | क्षमा के गुण से आँगन मे खुशियाँ रहती है | जीनवाणी व्यक्ति के खराब स्वभाव को अच्छे स्वभाव मे बदल सकती है| क्षमा की जीवन मे परीक्षा होती रहती है | क्षमा करना और मानगना यह पर्युषन पर्व सिखाता है | गणधर भी श्रावकों से क्षमा याचना करते है| शिखर की हजारो सीढ़ीया चढ़ सकते है, किंतु शत्रु के घर की दस सीढ़ी चढ़ने मे सोचते हे | क्षमापना का पर्व अलबेला है सर्वव्यापी है, कही भी मना सकते हे | हमे ईंट का जवाब पथर से नही, क्षमा पुष्प से देना चाहिए | मौन सहन करना सिखाता हे ।


संचालन संजय मेहता और संजय काठी ने किया। पर्युषन के चौथे दिवस 6 सितंबर को सुबह पूज्य मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी को महान ग्रंथ “कल्पसूत्र “का वाचन प्रारंभ करेंगे । शग्रंथ को पूज्य मुनि श्री को वोहराने का लाभ उमेश भावेश मेहता परिवार ने लिया । ग्रंथ को बधाने का लाभ डा प्रदीप रखबचन्द्र संघवी परिवार ने लिया| ग्रंथ का प्रथम वाक्षेप पूजन मनोहर छाजेड़, दूसरी मांगूबेन सकलेचा , तीसरी ओएल जैन , चौथी धर्मचन्द्र मेहता, पांचवा लीलाबेन भंडारी परिवार ने लिया| ग्रंथ की अष्टप्रकारी पूजन का लाभ यशवंत भनडारी और आर,ती करने का लाभ मांगुबेन सकलेचा ने लिया ।

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