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अग्रि भारत समाचार से राकेश लछेटा की रिपोर्ट

झकनावदा । क्षत्रिय सिर्वी समाज की आराध्य देवी श्री आई माताजी का 607 वा अवतरण दिवस (भादवि बीज) उत्सव क्षत्रिय सीरवी समाज द्वारा बुधवार को शासन प्रशासन की कोरोना गाइडलाइन के चलते सादगी पूर्ण तरीके से मनाया गया। उक्त जानकारी देते हुए क्षत्रिय सीरवी समाज के वरिष्ठ समाज जन ने बताया कि विक्रम संवत 1472 को भादवी सुदी शुक्ल पक्ष बीज को गुजरात के अंबापुर मैं भिका जी डाबी के आंगन में श्री आई माताजी कन्या के रूप में प्रकट हुई थी। जिनका नाम जीजी रखा गया। 1561 में चैत्र शुक्ल बीच के दिन श्री आई माता अखंड ज्योत में विलीन हो गई थी। देशभर के वडेरो (मन्दिर) मैं आज भी अखंड ज्योत दीपक की लौ में केसर के रूप में माताजी दर्शन देती है। देशभर में फैले सीरवी समाज बंधुओं के साथ मध्य प्रदेश के 8 जिलों की 17 तहसीलों के 256 गांव में निवासरत समाज बंधु श्री आई माता जी का अवतरण दिवस बड़े ही हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाते हैं।


निकला चल समारोह


क्षत्रिय सीरवी समाज के श्री आईजी मंदिर प्रांगण से श्री आई माताजी की तस्वीर को रथ में बैठा कर चल समारोह बैंड बाजों के साथ निकाला गया। जिसमें महिलाएं एवं पुरुष अपनी पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए। तो वहीं युवा रथ के आगे आगे बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ डांडिया खेलते हुए एवं माताएं बहने गरबा खेलते हुए नजर आई। चल समारोह नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए दोबारा श्री आई जी मंदिर प्रांगण में पहुंचा। जहां समाज जनों द्वारा बढ़-चढ़कर आरती का चढ़ावा लिया। बाद समाज जनों द्वारा प्रसाद वितरण कर भंडारे का आयोजन किया।

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