अग्रि भारत समाचार से अमित जैन (नेताजी) की रिपोर्ट
झाबुआ। स्थानीय दिगंबर जैन मंदिर में १० सितंबर से दिगंबर जैन परम्परा के पर्युषण पर्व ( दस लक्षण पर्व ) की शुरुआत हुई स इस पर्व को धर्म के दस लक्षणों को जीवन में प्रतिपादित करने के प्रयास हेतु दस लक्षण पर्व कहा जाता है।समाज के मीडिया प्रभारी ने आशीष डोशी ने बताया कि प्रात काल जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक एवं शांति धारा का आयोजन समाज के सभी वर्गों द्वारा किया गया। इसके बाद में बाहर से पधारे पंडित रोचक शास्त्री द्वारा तत्वर्थ सूत्र का अर्थ सहित वचन किया गया। तत्पश्चात मंदीरजी में समाज के द्वारा तेरह द्वीप के विधान के आयोजन की शुरुआत की गई। इस विधान की पूजन पंडितजी एवं संगीतकारों के सानिध्य में 10दिनों तक की जाएगी। इसी कड़ी में शाम को जिनेन्द्र भगवान की संगीत मय आरती की गई। इसके बाद पंडितजी द्वारा दस धर्म के लक्षणों में पहले धर्म क्षमा धर्म पर विस्तृत व्याख्या की गई। व्याख्या में पंडितजी ने कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में क्रोध रूपी दानव को निकल कर क्षमा को धारण करना चाहिए स उन्होंने कहा कि मोक्ष की पहली सीढ़ी ही क्षमा धर्म ही है।
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