Breaking News
Loading...
Agri Bharat Samachar -  Indore, Jhabua and MP Hindi News

मध्य भारत संपादक अली असगर बोहरा मो.न.8962728652

Is the district struggling with oxygen shortage, will the administration pay attention to it after the lockdown?

झाबुआ । वर्ष भर पूर्व कोरोना महामारी से लडऩे के लिए सरकारें व उनके प्रशासनिक अमले ने बड़े-बड़े दावे किए, दावों में कहा गया कि कोविड-19 की महामारी से बचाव के लिए सरकार ने जिला स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है जहां पर ऑक्सीजन, बीमारों के लिए बेड की व्यवस्था पर्याप्त है। वर्ष 2020 माह मार्च में लॉकडाउन किया गया है एवं कोरोना से लडऩे की तैयारियां की गई। लेकिन कोविड 19 से लडऩे के लिए की गई तैयारियों की पोल वर्ष 2021 अप्रैल माह में आकर खुल गई। जब कोविड 19 की दूसरी लहर वैरिएंट का तीखा हमला हुआ। इस दौरान प्रशासन के दावे खोखले साबित हुए। वर्तमान में जिला चिकित्सालय जो कि आईएसओ सर्टिफाइड है में मरीजों के लिए बैड तक नहीं हैं जो मरीज हैं उनके लिए ऑक्सीजन के पर्याप्त इंतेजामात नहीं होने से गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों की जान आफत में है। वहीं जो लोग संपन्न हैं वह गुजरात के बड़ौदा, अहमदाबाद, इंदौर व अन्य शहरों की ओर जाकर अपने परिजनों का इलाज करवा रहे हैं। लेकिन गरीबों की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं।


लेकिन कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए जन जागरुकता अभियान चलाए गए व जिलेभर में ऑक्सीजन की कमी ने यह साबित कर दिया कि लोगों के जीवन से जुड़े अति आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं में भी सरकारें व प्रशासन कितना संजीता है....? कोविड 19 महामारी 2020 मार्च से प्रारंभ हुई लेकिन मार्च 2021 आते ही कोविड 19 महामारी को लेकर मप्र की सरकार ने मानों विजय हासिल कर ली हो, इस हेतु बड़े-बड़े विज्ञापन अखबारों में छपे, सरकार की उपलब्धियां गिनाई गई की किस तरह मप्र की शिवराजसिंह सरकार ने वर्ष 2020 में कोरोना के विरुद्ध जंग की ओर फतह हासिल की। लेकिन उपलब्धियां दूसरे वैरिएंट ने ताश के पत्तों की उड़ा दिया और सरकार की असलियत को खोलकर रख दिया। वैरिएंट का हमला चल रहा है एवं इसके लिए वर्तमान में ऑक्सीजन तक लोगों को नहीं मिल पा रही है। जबकि मोबाइल कॉल करने पर यह संदेश आता है कि हमें कोरोना से डरना नहीं लडऩा है एवं कोविड के खिलाफ लडऩे वाले जिम्मेदारों की तैयारियों को देखकर लगता है कि वह जंग के मैदान में बिना हथियार ही उतर चुके हैं तो जंग में कामयाबी हासिल करने को लेकर कई तरह की शंकाएं-कुशंकाएं को जन्म दे रहा है। 


दूसरी लहर में 10 दिन का लॉकडाउन

कोविड 19 के खतरनाक वैरिएंट ने एक बार फिर से मानव जाति पर तगड़ा हमला किया। कोविड के इस हमले में प्रतिदिन सैकड़ों लोग संक्रमित हो रहे हैं जिन्हें सांस लेने में तकलीफ महसूस हो रही है। प्रशासनिक स्तर पर आपदा प्रबंधन की बैठक मंत्री हरदीपसिंह डंग ने कलेक्टर व अधिकारियों की बैठक लेकर 17 अप्रैल से जिलेभर में 10 दिन का लॉकडाउन लगा दिया। लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अत्यन्त आवश्यक जिलेभर के अस्पतालों में बैड के साथ ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए कोई रणनीति अभी तक प्रशासनिक अमले के पास नहीं है। ऐसा तो नहीं है कि लॉकडाउन लगाने से कोविड खत्म हो जाएगा, बल्कि जो लोग प्रतिदिन संक्रमित हो रहे हैं उन्हें ऑक्सीजन की सख्त आवश्यकता है उसके लिए ऑक्सीजन, दवाइयों की आपूर्ति वर्तमान में सबसे जरूरी अस्त्र है। लेकिन जिलेभर के ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्रों में ऑक्सीजन ही नहीं है। यह तो दूर की बात है ग्रामीण अंचलों में रहने वाला भोला-भाला ग्रामीण ऑक्सीजन का नाम तक लेना सही ढंग से नहीं जानता वह तो सिर्फ मुंह पर मशीन लाने की बात करता है। नवागत कलेक्टर सोमेश मिश्रा से ग्रामीणों को उम्मीद है कि वह जिलेभर के सामुदायिक व उप स्वास्थ्य केन्द्रों में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति करें। वहीं ग्रामीण अंचलों में ऐसा केन्द्र खोले जहां पर बीमार होने वाले ग्रामीणों के लिए ऑक्सीजन व दवाइयों उपलब्ध रहे, तभी तो हम कोरोना से जंग लड़ सकते हैं वरना सिर्फ लॉकडाउन के भरोसे कोरोना खत्म हो जाएगा, यह सोचते रहेंगे तो इनसानी जीवन ज्यादा खतरे में पहुंच जाएगा। बहरहाल, सरकार व प्रशासनिक अमला लोगों के जीवन बचाने के लिए अब गंभीर हो जाए एवं ऑक्सीजन के साथ-साथ सभी अस्पतालों में बैड व सभी आवश्यक दवाओं की आपूर्ति त्वरित करे ताकि जिले के भोले-भाले गरीब लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं सही समय पर पहुंच जाए एवं मरीज की तड़पती जिंदगी बच जाए।

Post a Comment

Previous Post Next Post