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मध्य भारत संपादक अली असगर बोहरा मो.न 8962728652

The book is inaugurated and the ceremony of honor is done, Hindi is connecting the whole of India… Mr. Chandar.

नई दिल्ली। मातृभाषा उन्नयन संस्थान एवं संस्मय प्रकाशन द्वारा शनिवार को स्थानीय हिन्दी भवन में लेखिका सुरभि सप्रू की पुस्तक 'कर्त्तव्य पुकार रहा है' लोकार्पण व काव्यपाठ एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें ुुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति कांत शर्मा, अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुभाष चन्दर एवं विशिष्ट अतिथि कमला सिंह 'ज़ीनत', श्री रागानुराग एवं वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मण राव उपस्थित रहे।


सर्वप्रथम उपस्थित अतिथियों ने दीप प्रज्वलन किया, इसके बाद मातृभाषा उन्नयन संस्थान की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भावना शर्मा ने स्वागत उद्बोधन दिया एवं शारदे वंदना गिरीश चावला द्वारा की गई।

अतिथि स्वागत के उपरांत लेखिका सुरभि सप्रू की पुस्तक 'कर्त्तव्य पुकार रहा है' का लोकार्पण हुआ।

आयोजन के मुख्य अतिथि कीर्ति कांत शर्मा ने कहा कि 'मैं अपने आप को साहित्यकार नहीं मानता, बस एक आम नागरिक हूँ। आरंभ से अपनी मातृभाषा हिन्दी और संस्कृत में ही कार्य करता हूँ और आज गौरवान्वित हूँ कि मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा आयोजित इस समारोह का हिस्सा बना, जो हिन्दी के लिए दिन-रात एक करके मेहनत कर युवाओं के लिए नए द्वार खोल रहा है और आगे आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरक सिद्ध होगा। यदि हम हिन्दी को अपना कर्त्तव्य मान लें तो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को जोड़ने का कार्य करेगी।

सुरभि जी की कविताएँ पढ़कर ऐसा लगता है कि समसामयिक विषयों पर ये पैनी नज़र रखती हैं और समाज को उनका उत्तरदायित्व समझाने का प्रयास करती हैं। मुझे पूर्ण भरोसा है कि सुरभि जी हमारा दीप्तिमान भविष्य हैं।'

अध्यक्ष सुभाष चन्दर ने अपने वक्तव्य में कहा कि 'मातृभाषा उन्नयन संस्थान जो कार्य कर रही है वो सच में काबिले तारीफ है। उसके उद्देश्य उसके ध्येय के लिए सदैव उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ। नित नए आयाम गढ़ना और उसपर स्थिर रहना कोई कम बात नहीं है, साधुवाद।

मैं हमेशा कहता हूँ 100 पढ़ो, 10 गुनो और एक लिखो तब जाकर लेखन को समझ पाओगे।

सुरभि के लिए मैं ये नहीं कहता कि वो महादेवी जी की तरह या पंत की तरह लिखती है पर उसकी कविताओं की ख़ूबी है उसके अंदर की सच्चाई, उसके शिल्प में कोई बनावटी पन नहीं है। अभिव्यक्ति के प्रति जो सादगी है वो सबको छूती है।

प्रकाशन ने बहुत ही उम्दा कार्य किया है मैं केवल आवरण की बात नहीं करता बल्कि अंदर की हर चीज़ को देखकर महसूस करके कह रहा है। और गर्व होता है एक ऐसा प्रकाशन जो अपने 35 से 40 प्रकाशित पुस्तकों में 10 बेस्ट सेलर लेकर साहित्य में अपना अनूठा योगदान दे रहा है और लेखक व लेखन के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझ रहा है।'

आयोजन के विशिष्ट अतिथि लक्ष्मण राव ने कवयित्री सुरभि सप्रू को अपनी नई किताब के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित की एवं विशिष्ट अतिथि रामानुराग जी ने कहा कि 'सुरभि जी न केवल लेखिका है बल्कि एक बहुत अच्छी इंसान भी हैं। उनकी कविताएँ सहज भी हैं और अंदर तक चुभती भी हैं, सोचने पर मजबूर भी करती हैं।' साथ ही, विशिष्ट अतिथि कमला सिंह 'ज़ीनत' ने कहा कि 'मैं पिछले एक वर्ष से संस्थान से जुड़ी हूँ और संस्थान की लगातार सक्रियता से वाकिफ़ हूँ। हमें विश्वास है कि संस्थान अपना लक्ष्य प्राप्त करेगा औऱ हिन्दी राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित होगी।'

संस्थान द्वारा समाज के रत्न कश्मीर से आए विक्रम कॉल, रविन्द्र पंडिता व डॉ. पूनम सिंह को समाज रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।

आयोजन में कवियों ने काव्य पाठ किया, इसके बाद मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा डॉ. मनोज कामदेव, कैलाश जोशी 'पर्वत', मीना, तरुणा पुंडीर तरुनिल, मोनिका शर्मा 'मन', आनंद कृष्ण, जयप्रकाश विलक्षण, जगदीश मीणा, अमूल्य मिश्रा, आशीष श्रीवास्तव, मुक्ता मिश्रा, विपनेश माथुर, संजय कुमार गिरि को भाषा सारथी सम्मान से सम्मानित किया गया। अंत में आभार लेखिका सुरभि सप्रू ने माना।



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