अग्रि भारत समाचार से नरेंद्र तिवारी 'एडवोकेट'
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व्यंग्य लेख |
मध्यप्रदेश के मुखिया को मच्छरों ने काटकर, अपनी आफत को आमंत्रित किया है। सारे प्रांत के मच्छरों की शामत आ चुकी है। इससे पूर्व मच्छरों की प्रजाति पर प्रदेश में ऐसा भारी संकट शायद ही कभी आया हो। प्रदेश के मच्छर आम, गरीब, मजलूम ओर बेसहारा लोगो का खून चूस-चूसकर मदमस्त हो रहें थै। इसी मस्ती में बेलगाम हो चुके थै। इन बेलगाम मच्छरों ने प्रदेश के मुखिया को अपने दंश का शिकार बनाकर अपनी मौत को आमंत्रित कर लिया है। अब मच्छरों को ढूंढ-ढूंढ कर मारा जाएगा। शायद मुखिया नया श्लोगन भी दे दे 'मच्छर मुक्त मध्यप्रदेश' ओर सारा प्रदेश मच्छरों से मुक्त हो जाए। दरअसल प्रदेश के प्रधान को मच्छर ने काटकर सारे प्रदेश के मच्छरो की आफत को आमंत्रित कर लिया है। मच्छरों का प्रतिनिधि मंडल उस मच्छर को तलाश रहा है,जिसने प्रधान को काटने की गुस्ताखी की है। मच्छरों का प्रतिनिधि मंडल प्रधान को काटने वाले मच्छर को अपनी प्रजाति से बाहर करने की योजना पर भी विचार कर रहें है।इस प्रतिनिधि मंडल का कहना है। हमने सदैव गरीब,झोपड़पट्टी के लोगो को अपना शिकार बनाया है। वीआईपी केटेगरी के किसी राज्य के प्रधान को काटना हमारी परम्परा का हिस्सा कभी नहीं रहा है। इस एक मच्छर ने हमारी सारी प्रजाति को न सिर्फ बदनाम किया अपितु हमारी स्थापित परंपरा को भी ठेस पहुचाकर सम्पूर्ण प्रजाति की जान को खतरे में डाल दिया है। मच्छरों का यह प्रतिनिधि मंडल अपनी प्रजाति की ओर से प्रदेश के मुखिया से माफी भी मांग सकता है। मच्छरों का यह प्रतिनिधि मंडल प्रदेश स्तर पर ज्ञापन सौपकर यह भी आश्वस्त कर सकता है कि वह प्रदेश के मुखिया ओर उनके केबिनेट के किसी भी सदस्य को अब कभी नहीं काटेंगे। अपने ज्ञापन में मच्छरों के प्रतिनिधि मंडल ने यह भी उल्लेखित कर सकता है कि मुखिया सहित केबिनेट के मंत्रियों के रिश्तेदारों को भी वे अब नहीं काटेंगे। अतएव उनकी यह गलती माफ कर दी जाए।
मुखिया को काटने वाले मच्छर को इस प्रतिनिधि मंडल द्वारा नादान ओर आसानी से बहक जाने वाला बताते हुए इसे सरकारी मुलाजिम एवं विपक्षी पार्टियों द्वारा उकसाया गया बताता है। पीडब्ल्यू के इंजीनियर की चालो में उलझकर इस मच्छर ने प्रदेश के मुखिया को काटने की गुस्ताखी की है। इस नादान मच्छर का यह गुनाह माफी योग्य है। मच्छर को बहकाने वाले इंजीनियर के निलंबन से यह बात साफ हो गयी है। प्रदेश के मच्छरों के इस प्रतिनिधि मंडल को पूरे देश के मच्छरों के संगठनो का समर्थन मिल रहा है। इस मांग को लेकर देश के प्रधान से भी मुलाकात की जा सकती है।
मच्छरों के प्रतिनिधि मंडल का यह भी कहना है कि पीडब्ल्यूडी के विश्राम गृह कभी हमारी काटने वाली सूची में नहीं रहै है। हमे यह भान है कि यहां सदैव बड़े नेता और उच्चाधिकारी ही विश्राम करते है। हमने सदैव गरीब मजदूरों, बीमारों,बेबसो को ही अपना निशाना बनाया है। सरकारी विश्राम गृह की जगह सरकारी अस्पताल हमारे निशाने पर रहे है। बस स्टैंड के यात्री प्रतीक्षालय,गरीब बस्तियां ग्राम पंचायतों के कार्यालय, रेल्वे प्लेट फार्म, आदि हमारे ठिकाने रहते है। अनुविभागीय अधिकारी, जिला कलेक्टर संभागीय कमिश्नर, विधायक सांसद,मंत्री को हम नहीं काटते तो मुख्यमंत्रियों की बात ही बहुत दूर की है। इस बीच मच्छर मार दवाइयों, अगरबत्तियों एवं रिफिल निर्माताओं ने घटना पर दुख जाहिर किया है। नगरनिगमो, नगरपालिकाओं में दवाइयों के सप्लायरों ने दावा किया है। हमें राज्य सरकार प्रदेश में मच्छर मारने के अभियान का ठेका देती है तो हम प्रदेश में एक भी मच्छर नहीं रहने देगें। इनके इस दावे को सुनकर आमजन बड़े विस्मित दिखाई दे रहें है। नाना पाटेकर भी अपने एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है,डायलॉक पर संसोधन करते हुए नया डायलॉक गढ़ने की सोच रहे है।यह नया डायलॉक होगा एक मच्छर इंजीनियर को निलंबित करा सकता है।
बहरहाल मच्छरों द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री को रातभर नहीं सोने देने की गाज पीडब्लूडी के उपयंत्री पर गिर चुकी है। आमजन इस इंतजार में है कि प्रदेश के मुखिया मच्छर मुक्त प्रदेश के नारे को सुशासन अभियान में शामिल करें जिस प्रकार माफियाओं पर राज्य की कार्यवाही जारी है। मच्छरों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाया जाए ताकि प्रदेश की आमजनता भी चैन की नींद सो सके।
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