मध्य भारत संपादक अली असगर बोहरा मो.न.8962728652
झाबुआ । कृषि विज्ञान केन्द्र, झाबुआ के अटल सभागार में आर्या परियोजना अंतर्गत 5 फरवरी से 9 फरवरी 2021 तक पांच दिवसीय कड़कनाथ प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में चयनित ग्राम छापरी, हत्यादेली, बरखेड़ा एवं नवापाड़ा-नवीन के 50 कृषकों को प्रशिक्षित किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए केन्द्र के वरिष्ठ एवं प्रमुख डॉ. आई.एस. तोमर ने आर्या परियोजना के उद्देश्य एवं इससे प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को होने वाले लाभों पर प्रकाश डाला एवं बताया कि इस परियोजना के एक मुख्य घटक कड़कनाथ मुर्गीपालन प्रशिक्षण द्वारा किसानों के आजिविका के स्थायित्व एवं उनकी आय का दोगुनी करने में सहायक होगा।
इस प्रशिक्षण में वैज्ञानिक केवीके झाबुआ डॉ. चन्दन कुमार, पशु चिकित्सक, झाबुआ डॉ. अमित दोहरे, डॉ. एम.एस. जामरा, सहायक प्रोफेसर, वेटनरी महाविद्यालय महू डॉ. एम.एस. जामरा, नाबार्ड अधिकारी श्री नितिन अलौने, सारा सेवा समिति से जिमि निर्मल एवं डॉ. लक्ष्मी चौहान, सहा. प्रो. सी.व्ही.एस.ए.एच., जबलपुर द्वारा प्रत्यक्ष व ऑनलाईन के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया।
वैज्ञानिक डॉ. चन्दन कुमार ने किसानों को भा.कृ.अनु.प. द्वारा संचालित आर्या परियोजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए वैज्ञानिक पद्धति से कड़कनाथ पालन के बारे में बताते हुए किसानों को मुर्गीपालन में आने वाली समस्यों के निराकरण के बारे में बताया। साथ ही बताया की परियोजना अंतर्गत चयनित किसानों को प्रशिक्षण उपरांत रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास किये जायेगे एवं आगे जानकारी देते हुए कहा जैसे कि सर्वविदित है कड़कनाथ प्रजाति का चयन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा एक जिला एक उत्पाद के लिए किया गया है। इसमें 2000 किसानों को लाभान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ये किसान भविष्य में किसान उत्पादक संगठन में सम्मिलित होकर कड़कनाथ मुर्गीपालन द्वारा न केवल रोजगार प्राप्त करेगे बल्कि बाजार में कड़कनाथ की बढ़ती मॉग को पूरा करने का प्रयास करेंगे। डॉ. जामरा ने कड़कनाथ नस्ल के संरक्षण प्रबंधन के साथ साथ इसके बाजार मांग के बारे में जानकारी प्रदान की। डॉ. लक्ष्मी चौहान ने अपने ऑनलाईन उद्बोधन में कड़कनाथ पालन में मुर्गी व चूजों में आने वाले रोगों, टीकाकरण, आहार प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। नाबार्ड अधिकारी श्री अलोने ने किसान उत्पादक संगठन गठन व इससे होने वाले लाभों के बारे में बताया एवं इसमें अधिक से अधिक किसानों की भागीदारी सुनिश्चित कर इस से होने वाले लाभों के बारे में बताया। डॉ. जगदीश मौर्य स्व-सहायता समूह के गठन की प्रक्रिया एवं इसके कार्य करने के विषय पर जानकारी प्रदान की।
प्रशिक्षण के समापन पर केन्द्र प्रमुख डॉ. आई.एस. तोमर ने किसानों को खेती के साथ सह व्यवसाय के रूप में कड़कनाथ पालन द्वारा किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के विषय पर विस्तृत जानकारी प्रदान की एवं साथ ही बताया कि किस प्रकार ग्रामीण बेरोजगारों के लिए कड़कनाथ पालन एक बेहतर विकल्प बन सकता है।
कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र, के वैज्ञानिक डॉ. वी.के. सिंह, डॉ. आर.के. त्रिपाठी, श्री दयाराम चौहान सह समस्त कर्मचारियों एवं अंगिकृत ग्रामों से नानसिंह व अमनसिंह डामोर का सहयोग सराहनीय रहा।
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