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Agri Bharat Samachar -  Indore, Jhabua and MP Hindi News

अग्रि भारत समाचार से नरेंद्र तिवारी सेंधवा की रिपोर्ट

Government campaign to catch liquor and then ..?

भोपाल । मध्यप्रदेश के मुरैना ओर उज्जैन में जहरीली शराब के सेवन से हुई मौतों के बाद प्रदेश भर में शराब पकड़ने का सरकारी अभियान चल रहा है।प्रदेश के सभी जिलों तहसीलों गांवो में पुलिस और आबकारी अमला सक्रिय है। सरकारी अमला अवैध शराब पकड़ रहा है,जिसकी खबरों से अखबार भरे पड़े है,टीवी चैनलों में भी शराब पकड़े जाने की खबरे दिखाई दे रही है। बेशक इस अभियान में सरकार को बड़ी सफलता मिल रही है। अवैध शराब के कारोबारियों पर सरकार द्वारा नकेल डाली जा रही है। सरकार के इस अभियान से शराब के काले कारोबार से जुड़े शराब माफियाओं में हड़कम्प मचा हुआ है। सरकार द्वारा प्रतिदिन शराब पकड़े जाने के आंकड़े प्रकाशित किये जा रहे है। किन्तु यह महज अभियानी सफलता मात्र है। इस अभियान को स्थायित्व की आवश्यकता है। इससे पूर्व भी शराब पकड़े जाने के अभियान चले है,किन्तु पुनः पूर्व सी स्थित निर्मित हो गयी। जिसका परिणाम मुरैना ओर उज्जैन की घटना है। मध्यप्रदेश की सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि शराब पकड़ने का उक्त अभियान मात्र कुछ दिनों का प्रोपगंडा भर नही है। इस अभियान के सतत चलने की आवश्यकता है। जो शराब सरकार पकड़ रही है वह भी सरकार की अनदेखी से ही एकत्रित होती रही है। शराब पकड़ने का उक्त अभियान कहीं बरसाती मेढक न साबित हो। यहां सवाल यह भी उठाने योग्य जान पड़ता है,कि मानव स्वास्थ्य के लिए शराब हानिकारक है। इसके सेवन से हर वर्ष अनेको लोगो की मौते हो जाती है।मजदूरपेशा ओर गरीब लोगों पर इसका अधिक कुप्रभाव पड़ता है। सड़क दुर्घटना में बढोत्तरी होती है। अपराध पनपता है,परिवारों में विवाद होते है। मध्यप्रदेश सहित देश की अधिकांश राज्य सरकारें शराब ठेको के माध्यम से जनता को शराब उपलब्ध करवाती है।शराब पीने के लिए अहाते लगाती है। बड़े-बड़े शहरों में बार के लाइसेंस दिए जाते है,जहां पंचसितारा होटलो के चमचमाते कमरों में एयरकंडीशनर की बनावटी ठंडक ओर मध्दिम रोशनी के दरमियान चलते गीत-संगीत ओर गजल के बीच सुंदर नवयौवनाएँ शहर के सु-संभ्रात नागरिको को शराब परोसती दिखाई देती है। राज्य सरकारें देशी-विदेशी सभी ब्रांडों को अपने ठेकों के माध्यम से नागरिकों को उपलब्ध कराती है।उक्त सेवा देने के पीछे सरकारी तर्क शराब से मिलने वाले राजस्व का होता है। शराब से प्राप्त राजस्व प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना है।जिससे राज्य सरकारें आमजनता के लिए विकास कार्य करती है।


   देश मे चार ड्राय स्टेट है,जहां शराब की बिक्री पूर्णरूप से प्रतिबंधित है। इन राज्यो में गुजरात,मिजोरम ओर नागालैंड के बाद वर्ष 2016 से बिहार भी पूर्ण शराब बंदी वाले राज्यो की सूची में शामिल हो गया। इन राज्यो में शराब की सरकारी दुकाने नही है। किन्तु इन राज्यो में शराब के प्रचलन से इंकार नही किया जा सकता है। गुजरात मे शराब का अवैध कारोबार बरसो से जारी है।शराब माफिया बिना पुलिस की मदद के यह कार्य नही कर सकते है। बिहार में शराबबंदी 2016 से लागू हुई है। यहां भी अमूमन शराब की उपलब्धता आसानी से हो जाती है।अपनी बिहार और गुजरात की यात्राओं में शराब की आसान उपलब्धता के दृश्य अपनी आंखों से देख पाया हूँ। इन राज्यो में शराबबंदी से गरीब वर्ग शराब से दूर जरूर हुआ है।शराबबन्दी से इन गरीब परिवारों में आर्थिक खुशहाली लेकर बढ़ गयी है। 

  मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ठेकों के माध्यम से शराब बिक्री का कार्य करती है। यहां एक बहुत बड़े आदिवासी अंचल में महुए की कच्ची शराब पीने का प्रचलन भी ग्रामीण समुदाय में प्रचलित है। महुए से निर्मित कच्ची शराब में नशे की मात्रा बढाने के लिए तरह तरह के प्रयोग किये जाते है।आदिवासी अंचल में इन प्रयोगों में अनेको ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है।इस अंचल में शुद्ध स्प्रिट की उपलब्धता चिंता का विषय है। स्प्रिट का उपयोग ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रहा है। इसके उपयोग से अनेको ग्रामीणजन असमय काल के गाल में समा गए है। यह स्प्रिट भी तस्करी के माध्यम से ग्रामीणों तक पहुचती है। स्प्रिट की यह तस्करी अब ग्रामीण भी कर रहें है। पश्चिम निमाड़ में ओवर प्रूफ स्प्रिट के 80 प्रतिशत प्रकरणों में ग्रामीणों की लिप्तता पुलिस और आबकारी विभाग के रिकार्डो में दर्ज है।


  मध्यप्रदेश में प्रशासन मुरैना ओर उज्जैन की घटना के बाद सख्त रुख इख्तियार किये हुए दिखाई दे रहा है। इस अभियान के तहत दबिशें दी जा रही है। इस अभियान में देशी,विदेशी,कच्ची शराब ओर स्प्रिट भी पकड़ी जा रही है। प्रदेश सरकार का उक्त अभियान हर समय जारी रहना चाहिए।जिससे प्रदेश के नागरिकों को शराब के कुप्रभाव से बचाया जा सके एवं शराब के अवैध कारोबार को हमेशा के लिए प्रतिबंधित किया जा सके। इसके साथ ही गुजरात,नागालैंड,मिजोरम की तरह पूर्ण शराबबंदी पर भी मध्यप्रदेश सरकार को विचार करना चाहिए।यह कदम नागरिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक जान पड़ता है।


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