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Agri Bharat Samachar -  Indore, Jhabua and MP Hindi News

अग्रि भारत समाचार से ब्यूरो चीफ भगवान मुजाल्दा की रिपोर्ट

Hundreds of displaced Sardar Sarovar from Narmada Valley reached the gates of the Grievance Redressal Judges.

धार । नर्मदा घाटी के सैंकड़ो किसान मजदूर गावगाव, तहसीलों के प्रतिनिधि बडवानी और धार जिले से निकलकर आ पहुँचे हैं, इंदौर में जिनके घर दीपावली में भी नहीं हुआ उजाला, ऐसे पुनर्वास में अपना हक न पाये हुए ये आदिवासी, किसान मजदूर ,मछुआरे और सभी है जिन्हें पुनर्वास मिलना बाकी है| नर्मदा घाटी के या देश-दुनिया के किसी भी बांध की तुलना में अधिक बेहतर, पुनर्वास के प्रावधान होते हुए भी 35 सालों के संघर्ष से ही करीबन 20000 परिवारों ने जमीन तो 35000 परिवारों ने मकान के लिए भूखंड पाया है| फिर भी पुनर्वास बाकी है और उसी से भूमिहीन या आवासहीन बन गये घाटी के लोग फिर न्याय की गुहार लगाने आये हैं।

धार बड़वानी वाणी अंजड़ अलीराजपुर के डूब प्रभावित इलाकों से सैकड़ों की संख्या में आएं महिला पुरुष और नौजवानों ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के शिकायत निवारण प्राधिकरण के समक्ष दोपहर 12:30 बजे से धरना शुरू किया । धरने का नेतृत्व नर्मदा बचाओ आंदोलन नेत्री मेधा पाटकर, राधा बहन, सुरेश पाटीदार, सुशीला बहन, जामसिंह भिलाला, जगदीश पटेल, देवेसिंग तोमर, बच्चूराम कन्नोजिया, मुकेश भगोरिया, पवन यादव, छोटू भाई,आदि कर रहे है। धरना स्थल पर संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि अदालतों के फैसले के बावजूद 1000 से ज्यादा लोगों को न तो मुआवजा मिला है ना मकान। जिन टीन शेडो में उन्हें रखा जा रहा है ,वहां भी सुविधा नहीं है।

दीपावली जैसे त्यौहार पर भी वहां की बिजली काट दी गई और अंधेरे में ही डूब प्रभावितों को दीवाली मनाना पड़ी । हम यहां न्याय की गुहार लगाते हुए आए हैं तथा उम्मीद करते हैं की न्याय देने के लिए जो न्यायाधीश यहां बैठे हैं वे इन डूब प्रभावितों को न्याय प्रदान करेंगे । सभा को सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री, एसयूसीआई के प्रमोद नामदेव सहित डूब प्रभावितों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया और कहा कि यदि अब भी डूब प्रभावितों को न्याय नहीं मिला तो वे आर पार की लड़ाई लड़ने को मजबूर होंगे। वक्ताओं ने मध्य प्रदेश सरकार को चेतावनी दी है कि वह डूब प्रभावितों के साथ न्याय करें।


धरना आंदोलन के दौरान नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने बताया कि नर्मदा बचाओ आन्दोलन की 1994 से चली याचिका में सर्वोच्च अदालत ने शिकायत निवारण प्राधिकरण का हर प्रभावित राज्य में ( महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,गुजरात में) गठन करवाया| जहाँ भी, जिस भी मुद्दे पर शासन-प्रशासन और विस्थापितों के बीच विवाद खड़ा होगा, नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसला और तमाम कानूनी, नीतिगत प्रावधानों का पालन नहीं, उल्लंघन होगा, वहाँ उन मुद्दों पर शिकायत दाखिल करके न्याय मांगने और लेने के लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के भूतपूर्व न्यायधीशों की नियुक्ती हो गयी| 

2000 से 2013 तक मध्यप्रदेश में एक न्यायाधीश थे लेकिन 2015 से उनकी संख्या सर्वोच्च अदालत ने ही 5 कर दी, जबकि शासन और आन्दोलन दोनो की सहमति से कोर्ट को बताया गया कि शिनिप्रा के सामने 5000 से अधिक दावे प्रलंबित है| प्राधिकरण से अपेक्षा रही कि हर मुद्दे पर दोनों पक्षकारों की सुनवाई होकर न्यायपूर्ण निर्णय दिया जाए। सुश्री पाटकर ने कहा कि आज तक हजारों निर्णय प्राधिकरण ने दिये फिर भी आज सैकड़ों प्रतिनिधि इसलिए इंदौर पहुँचे है कि सैकड़ों आदेश एकेक मुद्दे पर जैसे जमीन के या मकान निर्माण के लिए अनुदान पर प्राप्त होकर भी अपना हक़ नही मिला है।

शिकायत निवारण प्राधिकरण की प्रक्रिया में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से प्रतिवेदन देने में देरी के अलावा, प्रतिवेदन में गलत जानकारी देने तक गड़बड़िया है| शिकायत निवारण प्राधिकरण ने तारिख तय करने पर भी विस्थापितों को खबर-सूचना न मिलने पर सुनवाई सालों तक टलती रही है । विस्थापितों के आवेदन जब जिले से संभागीय स्तर पर पहुचे हैं, तब भी वही हजारों के जवाब पाने के कारण शिकायत निवारण प्राधिकरण तक मुद्दे नही बढते । हाईकोर्ट में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने शिकायत निवारण प्राधिकरण के करीबन 250 आदेशों के खिलाफ अपील याचिका लगाकर भी हार भुगती तो अब कुल 4 मुद्दों पर सर्वोच्च अदालत में अपील दाखिल करके, महिला या नाबालिक खातेदार जैसे मुद्दे पर काम ठप्प रखा गया है।


 2 सालों से डूब भुगते सैकड़ों किसानों को सर्वोच्च अदालत के 2017 के आदेश अनुसार प्रत्येकी 60 लाख रु. न मिल पाना तथा गरीब मजदूर परिवारों को 10’x12’ की टीनशेड में पड़े रहना और आदेशों के बावजूद 5.80 लाख रु. का अनुदान न मिलना अन्याय है । विस्थापित चाहते है कि भ्रष्टाचारी, दलालों का हस्तक्षेप और लूट बंद करने, शिकायत निवारण प्राधिकरण प्रक्रिया तय करे और उनके हर आदेश पर अमल करवाये| 

शिकायत निवारण प्राधिकरण के न्यायाधीशों से चाहते है कि वे सख्त प्रक्रिया तय करते हुए, सालों से उनके या नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के पास पड़ी फाइलों पर फैसला करे| पुनर्वास के लिए एक ओर हजारों करोड़ रु. की गुजरात से मांग करने वाले शासन को निर्देश दे कि डूब के पहले न हुआ पुनर्वास त्वरित पूरा करें। बाद में धरना स्थल पर पहुंचे प्रभावितों के प्रतिनिधियों की शिकायत निवारण प्राधिकरण के अध्यक्ष शंभू सिंह जी से भी चर्चा हुई जिसमें उन्होंने उपरोक्त सभी मुद्दों को उठाया तथा न्याय की गुहार लगाई शंभू सिंह जी ने विश्वास दिलाया कि वे शीघ्र ही इस मामले में संज्ञान लेकर कार्रवाई करेंगे ।

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