निवेदिता सक्सेना की कलम से
झाबुआ । विवाह हेतू लडकियो की उम्र 18 से 21 होने के विषय पर चर्चा व एक्सपर्ट की राय जिसमें 21 वर्ष की आयु विवाह हेतू उपयुक्त हैं का बहूमत बना ।रविवार को हुई सी सी एफ की 22 वी वेबनार मे सचिव डॉक्टर कृपा शंकर चौबे के द्वारा संचालन किया । जिसमें विवाह हेतू लडकियो की आयु के समबन्ध मे दो सत्र रखे गये जिसमेँ पहले सत्र मे सम्पुर्ण भारत से विभिन्न राज्यो के युवाओ की राय ली गयी ।
दूसरे सत्र मे विषेश अतिथियो की राय ली गयी जिसमे ए एस पी खंडवा सीमा अलावा मैडम, असिस्टेंट लेबर कमिशनर जेस्मीन अली सीतारा व आई पी एस (एस पी ) रेल रोड इंदौर से किरण लता जी ने अपने विचार व्यक्त किये।
पहले सत्र मे नव यूवक युवतियों ने अपने विचार भारतीय परिप्रेक्ष्य व शिक्षा, भविष्य की संभावनाओ को उम्र की सीमा बन्धन मानते हुये अपनी अपनी राय रखी जिसमें कयी विभिन्नताए नजर आयी। अधिकतर युवा नुपुर सेठी आई पी यूनिवर्सिटी देहली, अग्रिमा रावत एम बी बी एस बेंगलरु ,निविया चौधरी फेशन डिज़ाइनर,आयुषी सिंग फ़ैशन डिज़ाइनिग पुणे, पिंकी दास कलकत्ता ,शुभी परसाई ,मार्तण्ड मिश्रा विधार्थी पत्रकारिता कर रहे युवाओ ने कहा की लडकियो की विवाह की उम्र 21 कर देना बेहतर रहेगा जिससे उनकी शिक्षा व स्वास्थ के सार्थक विकल्प की सम्भावनाये अपेक्षित रहेगी व शिशु मृत्युदर घटेगी साथ ही लडके व लडकियो की विवाह की समानता का अधिकार प्राप्त होगा।
वही 18 वर्ष की उम्र को सही ठहराते हुये अपने वक्तव्य एल एल बी स्टूडेंटस अरुणिमा श्रीवास्तव, आदित्य दिक्षित इंजीनियरिंग विद्यार्थी जबलपुर ने 18 साल विवाह की उम्र को ही ठिक कहा क्युकी जीसे शिक्षा लेनी वह आगे पडेगा व जिन्हे पारिवरिक जिम्मेदारी निभानी है वह उस और ध्यान दे सकेगा साथ ही इन युवाओ का कहना हैं की 21 साल विवाह की उम्र को ज्यादा ध्यान न देते हुये बाल विवाह , दहेज प्रथा , व ब्लात्कार का समाधान निकालना जरुरी हैं। वेबनार के दूसरे सत्र मे ए एस पी सीमा अलावा मैडम ने अपनी राय दी- जिसमें स्पष्ट करते हुये उन्होने वास्तविकता को दर्शाया की भारत की नब्बे प्रतिशत आबादी गांव मे बसती हैं जहा 18 की उम्र तक आते आते लडकियो के विवाह लगभग हो जाते। तथा कार्यक्षेत्र को देखते हुये अलावा मैडम ने कहा की जिसमें 18 की उम्र ही बाध्य नजर आती हैं तब जब पोक्सो ऐक्ट के तहत केस बनते या कम उम्र मे बाल विवाह ऐसे मे कयी बार "चाइल्ड ट्रैफिकिंग " जेसे अपराध भी जन्म लेते हैं व अपराध को बढावा मिलता है, अत: हमे पोक्सो ऐक्ट, व किशोर न्याय अधिनियम मे भी कयी परिवर्तन करने होगे ।
वही किरण लता मैडम एस पी इंदौर ने अपने अतिथि उदबोधन मे विवाह अधिनियम की शुरुआत को स्पष्ट किया जिसमे 21 वर्ष की उम्र को सही ठहराया। व महिलाओ की सशक्तता पुर्व से अब तक के कानून के विकास पर नजर डालते हुये बताया की 1891 मे विवाह उम्र लड्की की 10 व लडके की 18 थी बाद मे 1930मे परिवर्तन करते हुये लडकी की उम्र 14 व लडके की18 हुई तत्पश्चात् 1978 मे लडकी की 18 व लडके की 21निश्चित की गयी तब भी कयी चुनौतियो का सामना हुआ। बहारहाल सही यही होगा लडके व लडकी को विवाह की उम्र मे समानता प्राप्त हो जिससे कयी चिकित्सकीय समस्याओ का निवारण भी होगा। वही असिस्टेंट लेबर कमिशनर जेस्मीन अली सितारा भारत मे वर्षो से पनप रही लडकियो के विवाह को लेक संकुचित मानसिकता रुढिवादीता को खत्म करने के लिये 21 वर्ष की विवाह का प्रावधान लडकियो के समग्र विकास मे सहायक सिद्ध होगा जिससे समाजिक स्तर पर भी वह अपना प्रस्तुतीकरण अच्छे से कर पायेगी । वेबनार के अंत मे सीसीएफ अध्यक्ष श्री राघ्वेन्द्र शर्मा जी ने सभी वक्ताओ व अतिथियो का अभिवादन व धन्यवाद व्यक्त किया व लडकियो के विवाह की उम्र के इस सम्वेदनशील मुद्दे की सम्सया का व्यवहारिक समाधान निकालने की अपील की व सी सी एफ के द्वारा ई बुकलेट निकालने की पहल पर विचार विमर्श करने का आग्रह भी किया ।
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