अग्रि भारत समाचार से रशीदा पीठावाला की रिपोर्ट
प्रमुख सचिव परिवहन विभाग को अभ्यावेदन प्रेषित किया।
इंदौर । मध्य प्रदेश के ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं अधिवक्ताओं द्वारा प्रमुख सचिव परिवहन विभाग को अभ्यावेदन प्रेषित किया।
मध्य प्रदेश शासन द्वारा प्रदेश के प्रत्येक संभाग में क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण की नियुक्ति की जाती है।मध्य प्रदेश शासन के पास सभी 10 संभागों में संभाग आयुक्त राजस्व उपलब्ध है। वर्ष 2013 एवं इसके पूर्व प्रत्येक क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण में संभागीय आयुक्त (राजस्व ) को चेयरमैन नियुक्त किया जाता है जिनका कार्य परमिट संबंधित सुनवाई करना होता है।
अधिवक्ता श्री संजय जी करंजावाला ( पूर्व शासकीय अधिवक्ता, उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ इंदौर मध्य प्रदेश) एवं मोटरयान अधिनियम के विधि विशेषज्ञ जोकि विगत वर्ष 2003 से अपनी सेवाएं उक्त क्षेत्र में पैरवी कर प्रदत कर रहे हैं और उक्त सेवाओं से अनेकों पक्षकारों लाभाविन हुए हैं | श्री संजय जी द्वारा जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2013 एवं इसके पूर्व में प्रत्येक संभागीय आयुक्त (राजस्व) द्वारा प्रकरणों की सुनवाई की जाती थी उपरोक्त व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए दिनांक 1 मई 2013 के राजपत्र में तीन सदस्यीय क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण का गठन किया गया था जिसमें कि क्षेत्रीय उप परिवहन आयुक्त (अध्यक्ष) एवं संभागीय राजस्व आयुक्त द्वारा नाम निर्देशित उपायुक्त (राजस्व) एवं लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता द्वारा नाम निर्देशित अधीक्षक यंत्री या कार्यपालन यंत्री को सदस्य बनाया गया था ।
उपरोक्त वर्णित व्यवस्था को दिनांक 05/11/2015 को नोटिफिकेशन के माध्यम से यह व्यवस्था को समाप्त करते हुए उप परिवहन आयुक्त द्वारा क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है | वर्ष 2015 से उप परिवहन आयुक्त क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार के रुप में परमिट की सुनवाई कर रहे थे विडंबना यह है कि मध्य प्रदेश शासन के पास वर्तमान में उप परिवहन आयुक्त उपलब्ध नहीं से प्रकरणों की सुनवाई में बाधा उत्पन्न हो रही है और सुनवाई नहीं हो पा रही है एवं लोक सेवा गारंटी अधिनियम के प्रावधानों का पालन भी नहीं हो रहा है।
जिस संबंध में कार्यों में लोभ की स्थिति निर्मित हो रही है | प्रकरणों के अविवादित निराकरण हेतु ऑपरेटरों द्वारा अपने अधिकारों की रक्षा के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में रिट याचिका लगाई जा चुकी है जो कि वर्तमान में उच्च न्यायालय जबलपुर में विचाराधीन है | उक्त रिट याचिका में यह अनुतोष मांगा गया है कि वर्ष 2013 के पूर्व की व्यवस्था , जिसमें प्रत्येक संभागीय आयुक्त को क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में विचार किया न्यायोचित होगा जिससे अव्यवस्था को रोका जा सकता है एवं लोक सेवा गारंटी के अधिनियम के प्रावधान का पालन भी हो सकेगा |
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