अग्री भारत सामाचार से ताहिर कमाल सिद्दीकी की रिपोर्ट।
इंदौर। देशभर की तमाम दरगाहों में एक या दो तीन दिन उर्स मनाया जाता है, लेकिन अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में छह दिन उर्स मनाने की परंपरा है। वहीं, ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813वें उर्स में गरीब नवाज के चाहने वाले देश-दुनिया से दरगाह में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे। इंदौर से जिला हज कमेटी के उपाध्यक्ष रेहान अंसारी भी सूफी के दरबार में पहुंचे। जहां खास तौर पर देश के मशहूर फनकार कव्वाल रईस अनीस साबरी और आमिलआरिफ से गरीब नवाज में मुलाकात और गुफ्तगू हुई। जिला उपाध्यक्ष रेहान अंसारी ने दोनों फ़नकारों का इस्तक़बाल किया। साजिद अंसारी, इमरान अंसारी ने भी स्वागत किया।
इस दौरान रईस अनीस साबरी ने यह शेर सुनाया-
इस ज़र्रा नवाज़ी के तो लायक़ नहीं था मैं,
तुमने मेरे नसीब को मामूर कर दिया,
कल तक तो मेरे नाम से वाकिफ न था कोई,
तेरे करम ने दुनिया में मशहूर कर दिया
इसी तरह कव्वाल आमिल आरिफ साबरी ने भी सूफियाना माहौल में कुछ इस तरह मुखातिब हुए
अज़ब है मंजर के इश्क़ तेरा
करम के परदे उठा रहा है।
बहरहाल अजमेर का उर्स साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। दरगाह परिसर में किसी भी जाति बिरादरी का फर्क नहीं समझा जाता है। ख्वाजा के दरवाजे सभी के लिए खुले हुए हैं।
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