अग्री भारत सामाचार से एम. हामिद ईज्जी की रिपोर्ट।
आलोट। आज के बच्चों को कुछ पता नहीं क्या है क्या था गजब के दिन थे मात्र ,25 पैसे, 50 पैसे किराये पर उपलब्ध होती थी चंपक , चाचा चौधरी, लंबू पतलू, राजा महाराजा के नई नई कहानी किस्से जिसमें ज्ञान की बातें चित्र के साथ पढ़ने में बड़ा आनंद सुकून मिलता था ।
अब मोबाइल के दौर में स्कूल की भागम भाग जिंदगी छोटे-छोटे बच्चों के पास समय नहीं इस किताबों को पढ़ने का ना हीं अब नजर आती ना पेरेंट्स को कोई इंटरेस्ट । मोबाइल में कार्टून नंगी फिल्में नंगे डांस जिस पर ना सरकार का ध्यान नहीं पेरेंट्स का सिर्फ बच्चों के हाथ में मोबाइल देकर ऐसा समझ रहे चलो पीछा छूटा मगर आने वाला समय????
मुर्तजा हामिद ईज्जी राष्ट्रीय सद्भावना ग्रुप आलोट ।
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