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                   *बड़वानी से इब्राहिम रिजवी ।*                    


दीया लेकर ढूढोंगे तो बुरहानुद्दीन मौला जैसा रहबर, मौला जैसे माँ और बावा नहीं मिलेंगे । तुम अपने मोमीन भाई की ऐसी मदद करना कि वह खुद एक दिन अपने दुसरे मोमीन भाई की मदद के काबिल बन जाये । कोई तुम्हारा भाई बीमार हों तो उसकी दवाई का इंतजाम करना उसके इलाज मे मदद करना । मोमीन की ऐसी मदद करना कि एक दिन वह खुद दुसरे की मदद के काबिल बन जाये । कोई बीमार हो उसका इलाज कराने मे मदद करना, कोई समाज का बाशिंदा सर्वीस मे हो उसका स्वंय का  व्यापार हो जाये ऐसी कोशिश करना । किसी का घर ना हो तो उसका  घर हो जाए ऐसी कोशिश करना  । किसी तुम्हारे भाई के बच्चों की फीस की वजह से उसकी पढ़ाई रुकती हों तो फीस का  इंतजाम करा देना ताकि  किसी की शिक्षा मे रुकावट ना आए । उक्त उदगार बोहरा समाज के 53 वें धर्मगुरु डॉक्टर सय्यदना आलीकदर मुफद्दल सैफूद्दीन मौला ने अशरा मुबारक की वाअज मे व्यक्त किए। आज 52 वे धर्मगुरु डॉक्टर सय्यदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन मौला के सातवें उर्स मुबारक के मौके पर आज मौला के नसीहत के कलाम आज के मुश्किल हालात मे समाजजनों के लिए संबल का काम कर रहे है।

आलीकदर मौला ने फरमाया कि बावाजी साहब बुरहानुद्दीन मौला ने 50 साल तक दाई के रुप मे खिदमत की है ।  अपनी सौवी मिलाद पर बुरहानुद्दीन मौला ने फरमाया था  कि तुम सब मेरी मोहब्बत मे पले हों । तुम मेरी गोद मे पले हों आज मेरी यह उम्मीद है कि तुम सब एक एक को गले लगा लु । मुफद्दल मौला ने  बुरहानुद्दीन मौला की वफात का जिक्र करते हुए कहाँ कि  उस दिन सबको एक ही उम्मीद थी आखरी दीदार से महरुम ना रह जाए । इसलिए दुनिया के कोनो कोने से समाज के लोग मुबंई  एकत्रित हो गए थे ।

आलीकदर मौला ने बुरहानुद्दीन मौला के पांचवें  उर्स पर फरमाया था कि  आज मौला को  याद करते हुए   आपका शुक्र करता हूं  ।  बुरहानुद्दीन मौला आज के दिन मैं  दुआ करता हूं कि खुदा हमारी हर उम्मीद पुरी करे । खुदा तुम्हे संतोष की दोलत  दे ।   दुनिया के कैसे  भी  हालत आए  खुदा तुम्हे सुकुन की  दोलत दे । तुम एक दुसरे की मदद करना , मोमीन की दुआ लेना । 

१७ जनवरी २०१४ की सुबह तक किसी ने कल्पना नही की थी कि जिस मानवता के रहबर बोहरा समाज के ५२ वे धर्मगुरु डॉ.सय्यदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब के १०३ वे जन्मदिन की तय्यारीया धूमधाम से चल रही थी  उन्ही मौला के वफात की खबर सुनने को मिलेगी । अकस्मात शुक्रवार १७ जनवरी दोपहर  के दिन यह खबर आई तो पुरे समाज पर वज्रपात टूट पढ़ा। जिसने भी यह खबर सुनी उसे विश्वास नही हुआ कि जिसके नाज और नेअम मे सब पले थे उस रुहानी बावा का साया सर से उठ गया है ।

बुरहानुद्दीन मोला ने दाई के रुतबे मे ५० साल तक दावत की खिदमत मे दिन और रात एक कर दिये आपने बोहरा समाज को पुरे विश्व मे पहचान दिलाई जीवन के हर मकाम मे महज दस लाख से भी कम आबादी वाले समाज को चाहे युरोप हो या अमेरिका या फिर अफ्रीका या एशिया महाद्वीप हर जगह बोहरा समाज के अनुयाईयों को सय्यदना बुरहानुद्दीन मोला के सबब इज्जत और शौहरत मिली। शतप्रतिशत शिक्षीत समाज, बालिकाओ की शिक्षा मे भी शत प्रतिशत, नशीले व्यसन से दूर समाज सय्यदना साहब के अथक प्रयासो का नतीजा है

जिस देश मे रहो उसके प्रति वफादार रहो और वहाँ की तरक्की मे योगदान दो के पेगम्बर मोहम्मद साहब के इस संदेश को सय्यदना साहब ने प्रत्येक बोहरा समाज के बाशिंदे तक पहुँचाया बल्कि उस पर अमल भी कराया

पुरे विश्व को अमन एंव शांति का संदेश देने वाले बुरहानुद्दीन साहब को सभी विश्व पटल पर प्रेम ,एकता और भाईचारे के संदेश वाहक के रूप मे जानती थी आज सय्यदना साहब के वारिस ५३ वे दाई सय्यदना मुफद्दल सैफूद्दीन मोला ५२ वे धर्मगुरु बुरहानुद्दीन मोला की तरह बोहरा समाज के प्रत्येक समाजजनो को एकता के सुत्र मे पिरोकर उन्नती के पथ पर अग्रसर कर रहे है 

मुफद्दल मोला भी समाजजनो को इमाम हुसैन के गम पर मातम करवाकर   रुला रहे है ,क्योकि मोमीन की खुशहाली का सबब ही हुसैन का गम है  ।

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