अग्री भारत समाचार से समीर शेख की रिपोर्ट
मक्सी । मंगलवार को मक्सी में एक निजी अस्पताल कि लापरवाही से जवान युवक की जान चली गई। जानकारी के अनुसार मक्सी के टेलर मैटेरियल की दुकान संचालित करने वाले पवन पिता सुरेश परिहार को मंगलवार शाम अपनी ही दुकान पर लकवा का अटैक आया था इसके बाद पवन के छोटे भाई आशीष और उसके पिता सुरेश परिहार उसे मक्सी के नया बाजार स्थित मनोज हॉस्पिटल उपचार के लिए ले गए। यहां जांच में युवक की स्थिति गंभीर थी इसके प्लेटलेट्स लगातार गिरते जा रहे थे ऐसी स्थिति में यहां मरीज को प्राथमिक उपचार देने की बजाय अस्पताल की डायरेक्टर नंदिनी ढाबले द्वारा परिजन को उज्जैन इंदौर के किसी बड़े अस्पताल में न्यूरो फिजिशियन की देखरेख में आपातकालीन उपचार की सलाह देने के बजाय 6500 रूपये लेकर उसे अस्पताल की निजी एंबुलेंस से शाजापुर ले गई। जहां युवक का सीटी स्कैन किया गया। सिटी स्कैन में युवक की दिमाग की नस फटने और उसकी वजह से उसकी जान को खतरा होना बताया गया। चूंकि शाजापुर शहर में कोई न्यूरो फिजिशियन नहीं है इसलिए मरीज युवक पवन को शाजापुर में कोई उपचार समय पर नहीं मिल सका जिससे उसकी इलाज मिलने के पहले ही मौत हो गई।
मृतक के परिजन बोले अस्पताल प्रबंधन सही सलाह देता तो बच जाती जिंदगी,
मृतक पवन के परिजनों ने मक्सी के निजी अस्पताल मनोज हॉस्पिटल की डायरेक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने स्थिति की गंभीरता को भी नही समझा और अपनी कमाई का जरिया बनाने के लिए हमें बेटे की बीमारी से सबंधित न्यूरो फिजिशियन से उपचार करवाने की सही सलाह देने की बजाय अपनी अस्पताल की एंबुलेंस से 6500 लेकर शाजापुर ले जाया गया जहां सीटी स्कैन के बाद हमारे लड़के के पास इतना समय नहीं बचा कि वह बच सके और उसकी मृत्यु हो गई। मक्सी के अस्पताल वाले अगर चाहते तो समय रहते हमें उज्जैन या इंदौर में मुझे फिजिशियन से उपचार लेने की सलाह दे सकते थे जिससे हमारे बच्चे को समय रहते उपचार मिल जाता और उसकी जान बच जाती।
अस्पताल प्रबंधन का उपचार की जगह परीक्षण सेंटर के जाना बना संदेहस्पद
सामान्य तौर पर किसी भी अप्रिय गंभीर स्थिति में प्राथमिक तौर पर मरीज को आपातकालीन उपचार दिया जाता हे जिससे उसे सामान्य अवस्था में लाया जा सके परन्तु मक्सी के मनोज हॉस्पिटल ने ऐसा न करतें हुए गंभीर अवस्था में युवक को पहले शाजापुर स्थित क्यूरियस डिग्नोस्टिक सेंटर ले जाया गया जो कही न कही संदेह पैदा करता है,जांच के बाद युवक को उज्जैन के लिए भेजा गया तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
घटना घटित होने के 1 माह बाद भी किसी तरह की कोई कार्यवाही ना होना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो के कार्य की प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाता है।
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