अग्रि भारत समाचार से कादर शेख की रिपोर्ट
थांदला। कहने को तो ज़िलें की राजनीति पूरे प्रदेश में हावी है। पक्ष व विपक्ष में अनेक नेता प्रदेश स्तरीय पद की शोभा बड़ा रहे है बावजूद इसके ग्रामीण अंचल में सैकड़ों अवैध क्लिनिक पर वे कोई भी कार्यवाही नही करवा पा रहे है। यहाँ तो दिया तले अंधेरा अथवा अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। अंचल में बंगाल का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है वही बांग्लादेशी फर्जी डॉक्टर्स भी जिलें में अपनी पैठ बनाये हुए है। यही नही सैकड़ो क्लिनिक तो ऐसे संचालित हो रहे है जो अपनी पैथी में ईलाज करने की बजाय दुसरी पैथी में ईलाज कर रहे है। इन तथाकथित फर्जी डॉक्टरों का मकड़जाल ऐसा फैला हुआ है कि ये अपनी काली करतुत को छुपाने के लिए जिलें के अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए नेता नगरी का उपयोग करते है और नेता भी इनकी पैरवी करने में नही चुकते है।
जिलाध्यक्ष बदला पर तस्वीर नही
झाबुआ ज़िलें में जिला कलेक्टर भी बदला तो भाजपा का जिलाध्यक्ष भी बदल गया लेकिन फिर भी यहाँ की तस्वीर नहीं बदली। जिसका मुख्य कारण यहाँ के बरसों से काबिज भ्रष्टाचार करने व कराने में माहिर माध्यस्थता करने वालें कर्मचारी है, जो विभाग की हर सूचना चंद रुपयों के लालच में लीक कर इन फर्जी यमराजों को बचा लेते है।
मौत की दुकानों पर कब लगेगी लगाम
झाबुआ ज़िलें के थांदला ब्लॉक में अनके पंचायतों में मौत की दुकान खुलें आम संचालित हो रही है । जिन्हें वहाँ के स्थानीय नेता व प्रशासनिक अधिकारी बीएमओ आदि का संरक्षण प्राप्त है तभी तो कुछ ग्रामीण अंचल पर चल रहे ऐसे क्लीनिकों पर नोट फोर सेल लिखी सरकारी ड्रिप दवाई आदि सामग्री भी देखी गई है। ऐसे में जिम्मेदार अधिकारी को योजनाबद्ध तरीक़े बड़ी टीम बनाकर एक साथ कार्यवाही कर इन मौत के सौदागरों को रंगे हाथों पकड़ना चाहिए। इन फर्जी डॉक्टरों का एसोसिएशन भी है जो कहता है हमारें द्वारा गाँधी छाप की भरपूर बंदी जाती है जिससे हम पर कोई कार्यवाही नही हो सकती।
आश्चर्य की बात है कि इन फर्जीयों कि बात भी सोला आने सच साबित हो रही है तभी तो डॉक्टरों ने ईलाज करने वाले स्थान के बाहर मेडिकल या पैथोलाजी लैब से लेकर कॉस्मेटिक या जनरल दुकानों के बोर्ड तक टांग कर प्रशासन को ठेंगा दिखा रहे है।
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