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अग्रि भारत समाचार से रशीदा पीठावाला की रिपोर्ट

इंदौर। शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के परिसर में द्वितीय राष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ। इस प्रतियोगिता में 16 टीमें प्रतिभागी बनी। प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ. सचिन शर्मा (रा.से.यो. प्रदेष संयोजक), पद्म भूषण श्रीमती सुमित्रा महाजन (पूर्व लोकसभा स्पीकर) एवं विषिष्ट अतिथि श्री पुष्यमित्र भार्गव (अतिरिक्त महाअधिवक्ता, इंदौर हाईकोर्ट), डाॅ. निषा दुबे (पूर्व कुलपति बरकतुल्लाह विष्वविद्यालय), डाॅ. सुरेष सिलावट (अतिरिक्त उच्च षिक्षा विभाग, म.प्र.) की गरिमामयी उपस्थिति में कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. इनार्मुरहमान एवं मुख्य अतिथि श्रीमति सुमित्रा महाजन (ताई) अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. इनार्मुरहमान ने सम्बोधित करते हुए विद्यार्थीयों से कहा कि हम विधि के विद्यार्थी है, रहस्य के नहीं। साथ ही विद्यार्थी जीवन के तीन नियम भी बताए। उन्होंने अतिथियों का परिचय देते हुए उनका महाविद्यालय में स्वागत किया। महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या रही व बरकतुल्लाह विष्वविद्यालय की पूर्व कुलपति श्रीमति निषा दुबे ने मूट कोर्ट समिति को बधाई का पात्र बताते हुए मूट कोर्ट के आयोजन के लिए शुभकामनाएं पे्रषित की। उन्होंने मूट कोर्ट को प्रस्तुति का ढंग, शोध पद्धति और कानून की उपयोगिता को समझने का श्रेष्ठतम जरिया बताया। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 (न्यायालय की भाषा) में संषोधन करने की बात रखी, साथ ही मार्च 2020 से समस्त न्यायालय को डिजिटल एवं ई-कोर्ट के माध्यम से जोड़े जाने की बात कहकर उसकी संकल्पना की चर्चा की। कार्यक्रम में विभिन्न महाविद्यालयों से आए प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए श्रीमती सुमित्रा महाजन ने लोकसभा के अपने अनुभव साझा किए। साथ ही समय पालन की महत्ता को भी समझाया। उन्होंने विद्यार्थीयों के बीच वाचन की आदत को विकसित करने और अपनी बात को प्रकट करने की पद्धति पर विषेषकर जोर देने के लिए कहा। आपातकाल की समीक्षा करते हुए उन्होंने नानी पालकी वाला के मतों की भी चर्चा की। 

प्रतियोगिता में सर्वप्रथम शोधकर्ता परीक्षण किया गया। जिसमें सभी टीम के शोधकर्ता ने एक लिखित परीक्षा के माध्यम से अपनी शोध की समीक्षा की। उसके बाद प्रतियोगिता को आगे बढ़ाते हुए ड्रा आँफ लाट्स किया गया। जिससे कौनसी टीम किसके विरुद्ध अपना तर्क प्रस्तुत करेगी यह स्पष्ट हो गया। जिसमें मेमोरियल का आदान-प्रदान भी हुआ। 

प्रारंम्भिक दौर में सभी प्रतिभागी 16 टीमों के वक्ताओं ने विभिन्न न्याय पक्षों में न्यायाधीषों के समक्ष अपने तर्क रखे। प्रारंम्भिक दौर में 4 टीमें चयनित हुई। चयनित टीमों ने सेमीफाइनल दौर में प्रवेश किया।  चयनित टीमों के बीच सेमीफाइनल का आयोजन 2 भागों में महाविद्यालय के मूट कोर्ट कक्ष में हुआ। जिसमें निर्णायक के रूप में बाहुल शास्त्री, अधिवक्ता नितिन भाटी और  विशाल सिंह ने वक्ताओं की तर्क शक्ति को परखा। वक्ताओं ने अपनी बहुमुखी प्रतिभा को दिखाते हुए बड़ी बुद्धिमत्ता से अपने वाद को प्रस्तुत किया और एक परिपक्व अधिवक्ता की भांति अपने वाद के पक्ष में साक्ष्य रखे। सेमीफाइनल दौर में 2 टीमें फाइनल दौर में प्रवेष करने के लिए चयनित हुई। फाइनल दौर का आयोजन 15 मई प्रातः 10.30 बजे से होगा। अंतिम चरण के लिए निर्णायक के रूप में मध्यप्रदेष उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीष जस्टिस वेद प्रकाष शर्मा, पूर्व न्यायाधीष जस्टिस सैयद अली नकवी, पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीष गुलाब शर्मा एवं पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीष लालसिंह भाटी मौजूद रहेंगे। जो समापन समारोह में विजेताओं को पुरस्कार वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन करेंगे।

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