संपादक-: मोहम्मद अमीन✍️
इंदौर । मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा चाहिए के दाना खाक में मिलकर ही गुले गुलजार होता है ,, होते हैं दुनिया में कुछ ऐसे लोग जो अपने कामों से अमिट छाप छोड़ जाते हैं उनके इस दुनिया से रुखसत होने के बाद भी उनकी यादें हमेशा हमारे जहन में बसी रहती है और हमें प्रेरणा देती है आगे बढ़ने की सच्चाई की राह पर चलने की यही बात थी इंदौर के आजाद नगर में रहने वाले वरिष्ठ अभिभाषक मरहूम ए सलीम साहब में जो इंदौर ही नहीं पूरे देश में किसी परिचय के मोहताज नहीं थे वह अपनी शैली से लोगों के दिलों पर राज करते थे अपनी जिंदगी को बड़ी ही सरलता से जिया और लोगों को इस दुनिया में किस तरीके से इंसानियत की मदद की जाए कीसी भी पीड़ित व्यक्ति न्याय दिलाना उसकी मदद करने मि सलीम साहब हमेशा आगे रहते थे ।
अपने जीवन काल में इंदौर जिला ही नहीं अन्य कई जगह पर रहने वाले कानून की पढ़ाई करने वाले छात्रों को निशुल्क शिक्षा दी उनके द्वारा पढ़ाए गए विद्यार्थी इंदौर एवं अन्य जिलों में न्यायधीश एवं सरकारी अभिभाषक के रूप में कार्य कर देश एवं समाज के हित में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं ए, सलीम साहब ने गरीब विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा दी साथ ही उनकी फीस काफी किताबों को खर्च भी वह स्वयं ही वाहन करते थे उनका मानना था कि शिक्षित देश का नौजवान है देश को आगे बढ़ाता है उन्होंने शिक्षा के महत्व पर हमेशा जोर दिया वह हर कार्यक्रम में शिक्षा के ऊपर ही बात किया करते हैं आज ऐसी महान हस्ती हमारे बीच में नहीं है मगर उनके बताए हुए पद चिन्हों पर चलते हुए कई विद्यार्थी लाभ ले रहे हैं और उनके महान विचारों को आगे बढ़ा रहे उनके उनके ही कार्यों को देखते हुए सम्मान स्वरूप इंदौर अभिभाषक संघ ने उनके जन्म दिवस के उपलक्ष पर लाइब्रेरी में उनका छायाचित्र लगाया गया बार के सभी वरिष्ठ सदस्य एवं उनके पढ़ाए गए विद्यार्थी उपस्थित रहे और उनके विचारों को याद किया गया।
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