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मध्य भारत संपादक अली असगर बोहरा

मो.न.8962728652




रतलाम। डॉ शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान में गीता जयंती पर 'वर्तमान समय मे गीता की प्रासंगिकता' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में  मुख्य अतिथि गीता के मर्मज्ञ श्री आर.एस केसरी सेवानिवृत्त डीएसपी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भूत के भाव के स्वभाव को त्यागना गीता है । उन्होंने गीता के अठारह अध्यायों के प्रमुख श्लोको के माध्यम से कर्म योग,ज्ञान योग,सांख्य योग अक्षर ब्रह्म योग ,आदि अठारह योगों की सारगर्भित व्याख्या करते हुए कहा कि गीता को तत्व से जानिए , गीता कर्तव्यों का सार है । गीता में ह्रदयम पार्थ ! गीता में  ज्ञायम वयं ! गीता में परम् पदम् ! आदि आदि को उल्लेखित करते हुए आर.एस केसरी ने अपने विस्तृत व्याख्यान में गीता की सांगोपांग व्याख्या की । 

विशेष आतिथ्य प्रदान कर रहे पंडित संजय शिवशंकर दवे ने कहा कि गीता केंद्र है । गीता बहाय परिप्रेक्ष्य का आयाम नही है । गीता एक ऐसा दर्पण है जो अपने अस्तित्व का परिचय कराती है । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पंडित मुस्तफा आरिफ ने महादेवी वर्मा की पंक्ति 'जाग तुझको दूर जाना' के माध्यम से कहा कि गीता हमे जागृति का संदेश देती है । गीता आत्मसात करने का ग्रन्थ है । गीता के माध्यम से हमारे कर्मो की प्रासंगिकता है । गीता में विभिन्न योगों की प्रतिष्ठा है परंतु अब योग का स्थान वाद ने ले लिया है वाद प्रतिवाद और विवाद ने अपनी जड़ें जमा ली है इसलिये गीता को आत्म सात करने आवश्यकता है । प.अखिल स्नेही ने 'भजे ब्रजेश नन्दनम ' कृष्ण वन्दना के साथ गीता के श्लोको का सस्वर पाठ कर कहा कि मोह का नाश ही मोक्ष है । हमारा मन ही वह कुरुक्षेत्र है जहाँ हमे नित्य गीता की आवश्यकता है ।' जितना कम सामान रहेगा उतना सफर आसान रहेगा ' को स्पष्ट करते हुए कहा कि काम    क्रोध लोभ मोह आदि का बोझ हमे छोड़ना होगा ।  तू कौरव तू पांडव मनवा तू रावण तू राम  । सारा द्वंद्व हमारे अंदर ही है इसीलिए गीता हमारी मार्ग दर्शिका है । 

सुश्री रश्मि उपाध्याय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे विद्वजनों की सभा मे बैठना और गीता पर बात करना सत्कर्मो का ही फल है । गीता हमे कर्म का संदेश है । राम चरित मानस जहाँ हमे जीवन की मर्यादा सीखाती है वहीं गीता हमारे जीवन में नैतिक मूल्यों की स्थापना करती है । डॉ शोभना तिवारी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि गीता कोई अनुदेश नही , निर्देश नही , सन्देश नही , उपदेश नही गीता केवल और केवल एक आदेश है कि हे अर्जुन तू युद्ध कर । लक्ष्मण पाठक ने गीता सार का सस्वर पाठ करते हुए अतिथियों एवम सभा मे उपस्थित सुधिजनो को गीता सार की प्रतियां भेट की । इस अवसर पर प्रणेश जैन, सिद्दिक रतलामी ,  आशीष दशोत्तर ,डॉली भटनागर, वनिता भट्ट, आजाद भारती, पीरूलाल डोडियार, राजेश कोठारी सन्तोष दवे ,डॉ दिनेश तिवारी आदि उपस्थित थे । संचालन डॉ शोभना तिवारी ने किया । आभार अखिल स्नेही ने माना ।

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