अग्रि भारत समाचार से कादर शेख की रिपोर्ट
थांदला। तप प्रधान जैन धर्म में चातुर्मास पूर्णाहुति के दिन चल रहे है। ऐसे में आराधक इन दिनों की सार्थकता समझकर जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्रीउमेशमुनिजी "अणु" म. सा. के कृपा प्राप्त शिष्य प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती पूज्या श्री निखिलशीलाजी म. सा. आदि ठाणा - 4 के पावन सानिध्य में रत्नत्रय की आराधना करते हुए अपना समय व्यतीत कर रहे है। इसी तारतम्य की जानकारी देते हुए संघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, सचिव प्रदीप गादिया, प्रवक्ता पवन नाहर, ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवि लोढ़ा व समकित तलेरा ने बताया कि विगत पाँच दिवस से 70 श्रावक श्राविकाओं ने क्रमशः सफेद चावल, लाल गेँहू, पिला चना, हरा मूंग एवं काला उड़द के रूप में नवकार महामंत्र के पाँच पदों की आराधना कर एक द्रव्य के एकासन तप किये। इस तप की विशेषता यह है कि नित्य एक द्रव्य से ही एक समय में आहार लेना होता है व पाँच पद के गुण रूप माला, वंदना आदि किये जाते है। आज की पूर्णाहुति पर अनेक श्राविकाओं ने अहिंसामय दया व्रत की आराधना की। सभी तप आराधकों के एकासन तप की सुंदर व्यवस्था श्री धर्मलता महिला मंडल ने स्थानीय महावीर भवन पर की जिसके लाभार्थी महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती सुधा रमेशचन्द्र शाहजी, सचिव श्रीमती अनुपमा मंगलेश श्री श्रीमाल, कोषाध्यक्ष श्रीमती किरण नरेंद्रकुमार श्रीश्रीमाल, श्रीमती पुष्पा कान्तिलाल चौपड़ा, श्रीमती तारा सुंदरलाल भंसाली एवं श्रीमती इंदु प्रकाशचन्द्र रुनवाल परिवार रहे। इस अवसर पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए मधुर व्याख्यानी पूज्या श्री निखिलशीलाजी म. सा. ने बोधि दुर्लभ भावना की विस्तृत विवेचना करते हुए कहा कि हेय, ज्ञेय व उपादेय की सही समझ ही बोधि प्राप्ति है। जिससे शाश्वत सुखों के द्वार खुल जाते है। पूज्या श्री प्रियशीलाजी म.सा. ने बड़े मैनकुँवरजी म. सा. के जीवन चारित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके लघुवय में दृढ़ वैराग्य की अमरगाथा से सबको परिचय करवाया। धर्मसभा का संचालन संघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत ने किया। सकल तप आयोजन में ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष रवी लोढ़ा, अंकित जैन, सन्दीप शाहजी, रमेशचन्द्र शाहजी, मयंक श्रीश्रीमाल, संजय जैन, मनीष चौपड़ा, हितेश शाहजी सहित महिला मंडल की सराहनीय भूमिका रही।
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