अग्रि भारत समाचार से ब्यूरो चीफ भगवान मुजाल्दा की रिपोर्ट
धार। जिला कलेक्टर आलोक कुमार सिंह ने प्रेस वार्ता में बताया कि माण्डू उत्सव का आयोजन 13 से 15 फरवरी तक जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग के द्वारा आयोजित किया जा रहा है। माण्डू उत्सव कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजित किया जाएगा। कोरोना काल के बाद प्रदेश में संभवतः यह पहला आयोजन खुले में हो रहा है। कोरोना की वजह से जो लोग माण्डू उत्सव में आने में संकोच कर रहे है उन लोगों के लिये माण्डू उत्सव के पूरे शो को सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव दिखाया जाएगा। विश्व विख्यात माण्डू उत्सव के नाम पर होंगे, लाखों करोड़ों रुपये व्यय, फंड के अभाव में प्रदेश की विकास योजनाएं बंद होने की कगार पर।
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थीम पर आधारित होगा। माण्डू उत्सव के दौरान खेलकूद की गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें ख्यात नाम कलाकार, लोकल कलाकारों के द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी। जिसमें लोकल कला, आर्टिस्ट, म्यूजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि का समावेश रहेगा। खेलकूद प्रतियोगिता में हेरिटेज वाक, साइकिलिंग ट्रैन, हॉर्स ट्रैन, पैराग्लाइडिंग, एडवेंचर, स्पोर्ट्स आदि गतिविधियों का आयोजन होगा। माण्डू का प्राचीन इतिहास, संस्कृति से लोगों को रूबरू करवाना हैं। माण्डू उत्सव का मूल उद्देश्य लोगों को माण्डू की ओर आकर्षित करना है। माण्डू पूरी दुनिया में अपनी जगह बनाता जा रहा है।
माण्डू उत्सव में आम आदमी स्थानीय लोगों की सहभागिता नहीं हो पाती
राज्य सरकार द्वारा माण्डू उत्सव के आयोजन पर लाखों करोडो रुपये व्यय रही हैं, किंतु माण्डू उत्सव का लाभ आम आदमी मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों को नहीं मिल पाता है। स्थानीय लोग सिर्फ दर्शक बनकर रह जाते हैं। माण्डू उत्सव के दौरान जो खेलकूद की गतिविधिया आयोजित की जाती हैं। उन खेलकूद की गतिविधियों के टिकिट काफी मंहगे रहते हैं। इस कारण से आम जनता स्थानीय लोग माण्डू उत्सव में अपनी सहभागिता नही कर पाते है। माण्डू उत्सव के तीन दिवसीय आयोजन से क्षेत्र के आदिवासी, किसान को क्या लाभ होगा ?
गतवर्ष माण्डू उत्सव प्रचार प्रसार के अभाव में मात्र औपचारिकता पूरी करते हुए नजर आया था। माण्डू उत्सव के कार्यक्रम के दौरान दौरान सिर्फ शासकीय कर्मचारी ही नजर आते हैं। सभी विभागीय अधिकारी प्रतिदिन धार से माण्डू आने जाने से शासकीय कार्य भी प्रभावित होते हैं। माण्डू के स्थानीय व्यक्ति अपनी रोजी रोटी कमाने में व्यस्त रहते है उन्हें माण्डू उत्सव से कोई लेना देना नहीं है! माण्डू उत्सव में सिर्फ शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारी ही नजर आते हैं। राज्य सरकार की ओर से जो बड़ा फंड आता है। जिला प्रशासन उसे पूरा खर्च करने में लगा रहता है।
राज्य सरकार वर्तमान स्थिति में आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही हैं औऱ लगातार कर्ज लेकर कार्य कर रही हैं। प्रदेश के विकास की योजनाओं के लिए सरकार के पास फंड नहीं है। कई योजनाएं फंड के अभाव में दम तोड़ती नजर आ रही है। जनहितैषी योजनाओं पर लाखों करोड़ों रुपये खर्च कर प्रदेश की गरीब जनता का दुःख दर्द दूर कर लाभ दिलाया जा सकता है।
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