अग्रि भारत समाचार से डॉ. हितेंद्र खतेडीया की रिपोर्ट
रंभापुर । सिद्ध पीठ पीपल खूंटा में चल रहे रामकथा के सातवें दिन शुक्रवार को राम विवाह पश्चात सीता के जनकपुरी से अयोध्या ससुराल जाने का वर्णन बताते हुए व्यासपीठ से धर्म अनुरागी यों को संबोधित करते हुए आचार्य रामानुज जी ने कहा कि बेटी के विवाह पश्चात जब बेटी की विदाई होती है तो वह क्षण हर कठोर पिता को रोने को विवश कर देता है आचार्य ने सीता जी के ससुराल विदाई का वर्णन सुनाते हुए कहा कि प्रत्येक माता-पिता का के साथ सास ससुर का भी या कर्तव्य होना चाहिए कि वह अपनी बहू को भी बेटी के समान रखें तभी इस रामकथा का सुनना सार्थक होगा वह इस देश में बेटियां अभिशाप नहीं वरदान साबित होगी रामानुज जी ने भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुए इस देश में जहां नारियों का सम्मान होता है उसी घर में शांति स्थापित होती है उन्होंने कहा कि जिस प्रकार प्रसाद बांटने से पुण्य मिलता है उसी प्रकार रामकथा मे वर्णित बातों को सुन व्यासपीठ से स्वयं आचार्य श्री जन समुदाय सीता जी के ससुराल जाने पर प्रसंग को सुनकर अपने आंसुओं को नहीं रोक सके धर्म सभा को पीपलखूंट महंत दयाराम जी ने भी संबोधित किया इस अवसर पर श्रीमंत महंत भरत दास जी महाराज चाडोद गुजरात महंत बालक दास जी मंडाला मधुसूदन दास जी महाराज बाबुल गुजरात व अन्य संत गण उपस्थित थे धर्म सभा का संचालन राजेश वैध्य ने किया । आज श्री राम कथा में जिले के सांसद गुमान सिंह डामोर और श्रीमती सूरज डामोर आरती में भाग लिया और उनके साथ पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा उपस्थित है आज की महा प्रसादी का आयोजन लक्ष्मीकांत नारायण कार्यालय की ओर से हुआ।
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