अग्रि भारत समाचार से ब्यूरो चीफ भगवान मुजाल्दा की रिपोर्ट
धार। जिला मुख्यालय पर प्रति मंगलवार 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक होने वाली जनसुनवाई में कोरोना गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। कोरोना गाईड लाईन का पालन कराने वाले ही राज्य सरकार के निर्देशों का पालन न करते हुए खुलेआम लापरवाही बरत रहे हैं।
मंगलवार को जिला कलेक्टर की अनुपस्थिति में अपर कलेक्टर शैलेंद्र सिंह सोलंकी, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संतोष वर्मा, एसडीएम एस एन दर्रो, सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी जिला पंचायत के सभागार में जनसुनवाई कर रहे थे। जनसुनवाई के दौरान सभागार में विभागों के अधिकारी ही सोशल डिस्टेंस का पालन न करते हुए पास-पास ही बैठे हुए थे और कुछ अधिकारियों ने मॉस्क लगाए हुए थे और कुछ ने आधे अधूरे औऱ किसी ने मॉस्क लगाया ही नहीं था।
सोशल डिस्टेंस के नहीं बनाये गोले, आवेदकों की पास-पास रखी कुर्सियां
जिला पंचायत के प्रांगण में जनसुनवाई के आवेदकों की जो कुर्सियां रखी गई हैं वह भी सोशल डिस्टेंस से न रखते हुए पास-पास ही रखी गई हैं और न ही सोशल डिस्टेंस के लिए गोले भी नहीं बनाये गये हैं।
सेनेटाइजर व थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था भी नहीं है
राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि कार्यालय के बाहर सेनेटाइजर व थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था आवश्यक रूप से करें जिससे आने वाला आम व्यक्ति अपने हाथों को सेनेटाइजर कर व तापमान को चैक किया जा सके। किन्तु जिला पंचायत के प्रांगण में सेनेटाइजर की मशीन भी नहीं लगी है। औऱ चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी छोटी सी बोतल लेकर दरवाजे पर खड़ा है। वह आम जनता को लाइन में लगाकर बारी-बारी से भेजने की व्यवस्था में लगा हुआ था जिससे अंदर जाने वाले लोगों के हाथों को सेनेटाइज नहीं करवा पा रहा था। आवेदकों की जो लाइन लगी हुई थी वह भी भीड़ के रूप में लगी हुई थी। यहाँ भी सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं किया जा रहा था। जनसुनवाई में जिले के आला अधिकारियों के सामने इतनी बड़ी गंभीर लापरवाही बरती जा रही हैं और शासन के निर्देशों की अवहेलना की जा रही हैं। कोरोना गाईड लाइन का पालन करवाने वाले ही उल्लंघन कर रहे हैं। आम लोगों के खिलाफ जुर्माने की कार्यवाही की गई थी। जिला प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही के लिए देखना होगा जिला कलेक्टर क्या कार्यवाही करते हैं?
जनसुनवाई जिला मुख्यालय पर कैसे हो, पढ़े हमारे सुझाव
राज्य सरकार ने जिला मुख्यालय पर जनसुनवाई के निर्देश इस प्रकार दिए थे कि अधिकारी अपने कार्यालय के बाहर टेबल लगाकर 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक बैठकर आम लोगों की समस्याओं का जल्द से जल्द त्वरित निराकरण निर्धारित समय सीमा में करे। आवेदक अपनी समस्याओं को सबसे पहले संबंधित विभागों को आवेदन प्रस्तुत करें। आवेदक की सुनवाई नहीं होने पर आवेदक जिला कलेक्टर के समक्ष उपस्थित होकर अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। इस व्यवस्था से कोरोना गाइडलाइंस का पालन उचित तरीके से होगा। साथ ही जिला कलेक्टर के पास आवेदकों की भीड़ भी इकट्ठी नही होगी और अधिकारियों का तीन घंटे का समय भी बेकार नहीं जायेगा।
जनसुनवाई से विभागों के अधिकारी नदारद
जनसुनवाई के दौरान सभागार में अधिकांश अधिकारियों की कुर्सियां खाली पड़ी हुई थी। कुछ अधिकारी तो नियमित आते हैं और कुछ अपने मातहत कर्मचारियों को भेज देते हैं और कुछ तो आते ही नहीं है। कुछ अधिकारी ऐसे भी है जो जनसुनवाई को बीच में छोड़कर ही चले जाते हैं। कुछ अधिकारियों का कहना है कि तीन घंटे तक फालतू बैठकर समय बर्बाद होता है। राज्य सरकार की जननोन्मुखी योजना को अधिकारियों ने मजाक बना लिया है। आवेदकों की समस्याओं का गंभीरता पूर्वक न सुनते हुए कहते हैं कि जवाब दे देंगे, जबकि समस्याओं को त्वरित निराकरण करना चाहिए। सीएम हेल्पलाइन की शिकायतो पर ध्यान दिया जाता हैं और निराकरण भी निर्धारित समयावधि में करना पड़ता हैं।
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