लेखिका - निवेदिता मुकुल सक्सेना
समय हमेशा नये स्वरुप मे पल पल आता रहता हैं इस समय की ध्वनी तरंग भी विविध रुपो मे प्रकट होती हैं जो दुख व सुख का अपने -अपने नजरिये से हम तक पहुचता रहता हैं । हाल ही मे कयी विद्यार्थियो से विषय उपरांत परिचर्चा हुई जिसमें वर्तमान मे कई समस्याओ को उन्होने समक्ष रखा जिन्हे सुन ये भी लगा कयी विकट स्थितियाँ खासकर उनकी सोच जो उनकी उनकी तो नही उन्हे मिल रहे वातावरण के कारण उनकी बन रही। स्वाभविक हैं जब हम अपनी नव युवा पीढी को उनके लक्ष्य के आगे हि झुकते हुये देखते है तब चीन्तन होता हैं। ओर इस चीन्तन का विचार मंथन भी जाहिर है।
बहरहाल,कोरोना त्रासदी ने जहा विश्व को हिला कर रख दिया वहा सम्सया ही समस्या हमारे समक्ष आयेगी ही जिनका समाधान भी हमे ही निकालना होगा।
" 2019 व 20 " कयी चुनौतियो के रुप मे हमारे आस पास से गुजरा कोरोना वायरस से बचने के चक्कर मे वाइरस और जकड़ता गया। ऐसे मे कयी रिश्तो व अपनो को खोया व पाया। एक ग्लानी जो सबको निगलती जा रही थी । नदिया की धारा की तरह जिसमें किसी को किनारा नही मिल रहा ।
कोरोना की चपेट मे आते कईयो की दिनचर्या ही बदल गयी क्युकी प्रतिरक्षा तन्त्र भी कमजोर हो गया। उसके साथ अनेक नकारात्मक सोच भी जन्म लेती गयी। चाहे युवा हो या बुजुर्ग उन्हीं मे से कईयो ने इस कोरोना संक्रमण की गहरी खाई को भी हँसते खेलते सार्थक समय मे परिवर्तित भी किया इस कारण उनके साथ के कयी लोगो मे भी यही विचार उत्पन्न हुये जो एक सार्थक पहल को प्रचारित भी किये।
"संघर्षों की बयार "विभिन्न आयमो को जन्म देती हैं क्युकी संघर्षों मे व्यक्ति सम्सया का समाधान कयी रुपो मे खोजता है चाहे वह अध्यात्मिक ,आर्थिक , या पारिवरिक रिश्तो मे ही क्युकी मूलत: यही मुख्यतः हमे सर्वप्रथम नजर आते हैं उसका भी कारण ये की आसानी से ये हमारे आस पास ही होते है । वही कयी प्रयासो के बाद व्यापार को सफलता ना मिलना या कोरोना के चलते व्यापार का ठप्प हो जाना।
फिलहाल विद्यार्थियो व बच्चो के बीच सतत कार्य करते हुये । कयी पारिवरिक पृष्ठभूमि को समझने का मोका मिलता रहा क्युकी हर बच्चा एक अलग वातावरण से निकल कर आता हैं ओर उसकी अपनी एक अलग सोच होती हैं। कुछ को निरन्तर माता पिता का साथ व मार्गदर्शन मिलता किन्तु वही कईयो को एक समय खाना भी बमुश्किल जीन्दगी की जंग लड़ते हुए काम कर जद्दोजहद के बाद मिलता। अनुभूति की ये दुखद तरंग मन को झकझोर देती है।
जिम्मेदारी हमारी
आवश्यकता है एक नयी सोच, नई पहल, नई चेतना,एक नया विश्वास , एक नवोदित प्रयास की क्युकी संघर्ष मे विविध आयाम नई सोच के साथ एक आशावादी दृष्टिकोण भी उत्पन्न करते हैं। स्वाभविक है वर्तमान परिप्रेक्ष्य हमे ये बात सोचने को जरुर विवश कर देगा । क्युकी हर वर्ग कही न कही समस्याओ के द्वंद से जुझ रहा चाहे वह बालक हो विद्यार्थी, कर्मचारी,एक पालक, शिक्षक , अभिनेता , शासक भी । रावण से युद्ध करते हुये श्री राम के भ्राता लक्ष्मण को भी मूर्छा आ जाने पर आखिर खोजने पर संजीवनी बूटी मिल ही गयी ओर शरीर को चेतन्यता मिली । वही अर्जुन ने लक्ष्य साधित कर मछली की आँख को भेधा,तो महाराजा शिवाजीराव ने राज्य की रक्षा कर प्राण न्योछावर किये।
बात सिर्फ इन माहन विभूतियो की ही नही एक अच्छे कार्य को सार्थक करने के लिये चुनौतियो को स्वीकारने की है जहा मस्तिष्क को सकारत्मक विचारो से अलंकृत करना होगा जिसके लिये समय-समय पर हमे अध्यात्मिक शक्तियो से भी जुड़ना होगा । जो हर क्षण एक रक्षा कवच की तरह अपने आप मे सुरक्षा की अनुभूति प्रदान करती है,और ये अनुभूति अपने आप मे स्वतन्त्रता मेहसूस कराती हैं अपनो व संस्कारो संस्क्रतियो से नहि वरन दूषित विचार ओर भय से ,यही से उत्पन्न होते है नवाचार के साथ नयी सोच, ओर विश्वास की मजबुत नीव जो हर कार्य व परिणाम को सार्थक करने महत्वपूर्ण भुमिका निभाती है। तो स्वीकार कर इन्हे रुके नही सतत प्रयास करते रहे समय कर्म का फ़ल अवश्य देगा निरन्तर नवोदित प्रयास करते रहे अपने अन्दर की कमियो का विश्लेषण कर
नई सोच, नई पहल, नई चेतना, नया विश्वास, एक नवोदित प्रयास को आत्मसात कर वर्ष 2021 मे इन्ही बिन्दुओ से सफलता की स्वर्णिम सीढ़ी चढ़ते जाए।
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