संपादक मोहम्मद आमीन
नई दिल्ली । दो दिनी नेशनल कांफ्रेंस का शुभारम्भ खास बातें ऊर्जा, ध्वनि, विद्युत, चुम्बकत्व, नाभिकीय ऊर्जा का सम्बन्ध अग्नि तत्व से : प्रो. शास्त्री जाने-माने वैज्ञानिक डॉ. अवस्थी मैटेरियल्स पर व्यापक शोध की पुरजोर वकालत की प्रो. मुकुल किशोर बोले, भौतिकी का परा भौतिकी से सीधा सम्बन्ध हमारा वर्तमान और हमारा भविष्य हमारे संकल्प पर ही निर्भर : प्रो. रघुवीर प्रो. द्विवेदी बोले, नैनो मैटेरियल्स रिसर्च में यह कांफ्रेंस मील का पत्थर साबित होगी । रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य बोले एफ.ओई.सी.एस का समर्पण और संकल्प अनुकरणीय गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के वीसी प्रो. आरके शास्त्री बोले, सूर्य ब्रह्माण्ड की समस्त ऊर्जा का अक्षय स्रोत है। इस पृथ्वी पर सभी भौतिक वस्तुएं अग्नि तत्व के मुख्य स्रोत सूर्य पर आधारित हैं, जो जीवन का आधार है। कहने का अभिप्राय यह है, ऊर्जा, ध्वनि, विद्युत, चुम्बकत्व, नाभिकीय ऊर्जा आदि का सम्बन्ध अग्नि तत्व से है। प्रो. शास्त्री तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में एफओईसीएस के भौतिक विभाग की ओर से आयोजित मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज पर नेशनल कांफ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। देशभर के भौतिक शिक्षाविदों ने कांफ्रेंस में अपने अनुभवों को ऑनलाइन/ऑफलाइन साझा किया। इससे पूर्व माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना की मनमोहिनी प्रस्तुति के साथ कांफ्रेंस का शंखनाद हुआ। इस मौके पर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के वीसी प्रो. आरके शास्त्री, इंटर यूनिवर्सिटी एक्सेलरेटर सेंटर, नई दिल्ली के अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. देवेश कुमार अवस्थी बतौर मुख्य अतिथि, हिन्दू कॉलेज, मुरादाबाद के भौतिकी विभाग के एचओडी प्रो. मुकुल किशोर बतौर गेस्ट ऑफ़ ऑनर, टीएमयू के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह, टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, एफओईसीएस के निदेशक एवं कांफ्रेंस के को-पैट्रन प्रो.आरके द्विवेदी, एडिशनल डीन प्रो. मंजुला जैन, ज्वाइंट रजिस्ट्रार डॉ. टीकम सिंह, सीटीएलडी के निदेशक डॉ. आरएन कृष्णिया, भौतिक विभाग के एचओडी डॉ. अमित शर्मा, कांफ्रेंस के को-कन्वीनर प्रो. एसपी पांडेय आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। उल्लेखनीय है, कोविड के चलते दोनों मुख्य अतिथि की उपस्थिति वर्चुअली रही। कांफ्रेंस प्रोसिडिंग का विमोचन भी हुआ। इससे पूर्व अतिथियों को बुके और स्मृति चिन्ह भी दिए गए। कांफ्रेंस का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। संचालन सुश्री इंदु त्रिपाठी ने किया।
बतौर मुख्य अतिथि प्रो. शास्त्री वैदिक विज्ञान के जरिए मेटा मैटेरियल्स के तत्वों पर प्रकाश डालते हुए बोले, ब्रह्मांड सभी तत्वों का समूह है। अग्नि तत्व के अनेक रूप हैं। हम ब्रह्मांड में मौजूद सभी दृश्यमान और अदृश्यमान तत्वों को अपनी सीमित इन्द्रियों से जानने की कोशिश करते हैं। ब्रह्माण्ड इन्हीं पदार्थों का विराट स्वरुप है। प्रो. शास्त्री बोले, वेदों में पदार्थ विज्ञान का विस्तार से वर्णन है। इंटर यूनिवर्सिटी एक्सेलरेटर सेंटर, नई दिल्ली के अवकाश प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. देवेश कुमार अवस्थी ने आधुनिक मैटेरियल्स की उपयोगिता और उनके गुणधर्म का विस्तार से वर्णन किया। आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षा में भौतिक विज्ञान की उपयोगिता को चिन्हित करते हुए विभिन्न प्रकार के मैटेरियल्स पर व्यापक शोध की पुरजोर वकालत की ताकि मानव कल्याण के कार्य को त्वरित रूप से क्रियान्वयन किया जा सके। हिन्दू कॉलेज, मुरादाबाद के भौतिकी विभाग के एचओडी प्रो. मुकुल किशोर ने बतौर गेस्ट ऑफ़ ऑनर कहा, भौतिकी का परा भौतिकी से सीधा सम्बन्ध है। महर्षि महेश योगी का स्मरण करते हुए बोले, उनका चिंतन क्वांटम पर आधारित था।
विज्ञान की विकास यात्रा के जितने भी क्षेत्र हैं, उनका श्रेय फिजिक्स को जाता है। क्वांटम मैकेनिक्स ही मेटा फिजिक्स का आधार है। भौतिक का ज्ञान अनंत है। इसे एक जन्म में नहीं जाना जा सकता है। प्रो. किशोर बोले, हमारे दैनिक जीवन के सभी क्रियाकलापों का सीधा सम्बन्ध पदार्थ विज्ञान से है। हिंदी की वकालत करते हुए उन्होंने चिंता जताई, विज्ञान का विस्तार तो हो रहा है, लेकिन विज्ञान की समझ में भाषायी दिक्कतें आ रही हैं। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह बोले, हमारा वर्तमान और हमारा भविष्य हमारे संकल्प पर ही निर्भर करता है। लक्ष्य प्राप्ति में सकारात्मक दृष्टिकोण की अहम भूमिका है। टेक्नोलॉजी के विकास का श्रेय फिजिक्स और केमिस्ट्री को जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, कंप्यूटेशनल डिवाइसेस, सेंसर, एक्सेलरेटर इत्यादि उपकरण मैटेरियल्स साइंस की देन हैं। प्रौद्योगिकी के समन्वयन से हम नई टेक्नोलॉजी ईजाद करते हैं। भौतिक विज्ञान जितना विकसित होगा, मानव जीवन उतना ही उन्नत होगा। हमारी अवधारणाएं मानव कल्याण उन्मुख होनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई, इस नेशनल कांफ्रेंस में देश के जाने-माने भौतिक शिक्षाविद- इन्वेशन, डिज़ाइन, डिवाइसेस और टेक्नोलॉजी पर अपने अनुभवों को साझा करेंगे। एफओईसीएस की वर्किंग को एक्स्ट्रा आर्डिनरी बताते हुए कहा, हमारा दृष्टिकोण समस्याओं में भी स्वर्णिम अवसरों को तलाश लेता है। एफओईसीएस इसका बेमिसाल उदाहरण है। इससे पूर्व एफओईसीएस के निदेशक प्रो.आरके द्विवेदी ने कांफ्रेंस की थीम प्रस्तुत करते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। प्रो.द्विवेदी बोले, नैनो मैटेरियल्स रिसर्च के नवीनतम विकास को आगे बढ़ाने में यह कांफ्रेंस मील का पत्थर साबित होगी। इसके लिए जरुरी है, हम विभिन्न स्रोतों से उच्च गुणवत्ता वाली इनफार्मेशन को संकलित करें और उनके मैथड्स, प्रॉपर्टीज, केमिकल्स, कंपाउंड्स, शेप्स इत्यादि को आत्मसात करें। प्रो. द्विवेदी ने नॉलेज क्रिएशन, फैलोशिप, नैनो टेक्नोलॉजी पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। बोले, टैगिंग, सेंसिंग, श्रिकिंग़, थिंकिंग की नॉलेज क्रिएशन में अहम भूमिका है। टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा ने कहा, कोविड काल के दौरान रिसर्च और पेटेंट्स के अलावा स्मार्ट कांफ्रेंस, नेशनल कांफ्रेंस, वेबिनार्स, गेस्ट लेक्चर्स, वर्कशॉप्स आदि के प्रति एफओईसीएस का समर्पण और संकल्प अनुकरणीय हैं। नेशनल कांफ्रेंस में प्रो. आरसी त्रिपाठी, डॉ. आरके जैन, असिस्टेंट डायरेक्टर टीएंडपी श्री विक्रम रैना, एचओडी डॉ. एके सक्सेना, डॉ. शम्भू भारद्वाज, डॉ. पवन सिंह, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. पराग अग्रवाल, डॉ. अजय उपाध्याय, डॉ. वरुण सिंह, एफओईसीएस के मीडिया प्रभारी डॉ. संदीप वर्मा, डॉ. मनीष ढींगरा, डॉ. गरिमा गोस्वामी, डॉ. पंकज गोस्वामी, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. शक्ति कुंडू, एआर श्री मनीष तिवारी आदि उपस्थित रहे।
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