अग्रि भारत समाचार से ब्यूरो चीफ भगवान मुजाल्दा की रिपोर्ट
धार । कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारी आलोक सिंह के रहते बदनावर विधानसभा उपचुनाव की निष्पक्षता पर संदेह है। सत्तापक्ष के दबाव व निज स्वार्थ पर सवाल खड़े करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सोमेश्वर पाटीदार ने भारत के राष्ट्रपति, मुख्य चुनाव आयुक्त भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली व भोपाल, मानव अधिकार आयोग नईदिल्ली, मध्यप्रदेश के राज्यपाल को पत्र लिखकर संज्ञान लेकर अत्यावश्यक कार्यवाही की मांग की है।
उक्त प्रेषित पत्र में उल्लेख है कि, म.प्र. के धार जिले में श्रीराजेन्द्रसूरी साख सहकारिता मर्यादित बैंक में आवर्ती जमा, बचत जमा, फिक्स डिपॉजिट योजना में लोगों ने राशि जमा करवाई थी। जमाकर्ताओं ने यह राशि अपने सुरक्षित भविष्य व कई लोगों ने बच्चों की पढ़ाई व भरण पोषण, कई लोगों ने बीमारी व बच्चों की शादियों जैसे अतिआवश्यक कार्यों के लिए जमा की थी। लोगों द्वारा जमा राशि निकालने के लिए विगत वर्षों से विभिन्न शाखाओं के चक्कर लगाते रहे, परन्तु जब बैंक शाखाएं चालू थी तब उपस्थिति कर्मचारियों द्वारा बैंक में पैसा नही होना, जिम्मेदार व्यक्ति नही होने के बहाने बनाकर जमाकर्ताओं को दौड़ाते रहे। खातों की जानकारी व लिखित में जवाब मांगने पर भी किसी प्रकार का संतोषप्रद जवाब नही दिया जाता था। बैंक के संचालक मंडल अध्यक्ष भाजपा नेता सुरेश तांतेड़ द्वारा बैंक के सभी खातेदारों को दिसम्बर 2018 तक आंशिक राशि लौटाने का वचन दिया था। परंतु दिसम्बर आते-आते बैंक के कर्मचारियों का शाखा में आना बंद हो गया और कुछ समय बाद बैंक शाखाओं के ताले खुलना भी बंद हो गए थे। इसको लेकर जमाकर्ताओं के प्रयास से पुलिस थानों पर प्रकरण भी दर्ज हुए। किंतु आज दिनांक तक बैंक के खाताधारकों को जमा पैसा अब तक नही मिला।
जिस तरह प्रशासन ने बैंक के जिम्मेदारों पर शुरुआती दौर में कार्यवाही कर सक्रियता दिखाई थी, उसे आगे बढ़ाते हुए जमाकर्ताओं को पैसा लोटा देते तो कोरोना महामारी जैसी विकट परिस्थिति में काम आ जाता। इस महामारी ने कई लोगों को प्रभावित किया। बैंक के जमाकर्ताओं की भी आर्थिक स्थिति लॉकडाउन के दौरान बिगड़ी और कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। यदि इस विकट परिस्थिति में खुद का जमा पैसा भी इन्हें मिल जाता तो आर्थिक संकट से जूझना नही पड़ता। इस विकट परिस्थिति में कम से कम उक्त मामले को गम्भीरता से लेकर जमाकर्ताओं को अपनी पूंजी तत्काल वापस दे दे। वैसे तो शासन महामारी के दौरान आर्थिक संकट से जूझ रहे लोगों के लिए सरकारी खजाना खोलकर लाभ पहुँचा रही है। तो क्यों न शासन बैंक के संचालकों पर कार्यवाही जारी रख, फिलहाल राजेंद्रसूरी बैंक के जमाकर्ताओं के खुद के गाढी कमाई के रुपयों को भी तत्काल राहत देने हेतु शासन अपने खजाने से पैसा लौटाकर इनकी परेशानियों को दूर करें। या फिर ऋण लेने वालों से वसूली हो रही है तो जमाकर्ताओं को भी राशि लौटाना शुरू कर दे। उक्त मामले की मांग को लेकर 450 किमी सायकल चलाकर कुक्षी से भोपाल मुख्यमंत्री (म.प्र. शासन) से मिलने गया था। 4 दिनों तक मिलने हेतु प्रयास किया, आवेदन भी दिया, निजी सचिव से भी मिलकर मिलवाने के लिए कहा, तमाम प्रयास करने पर भी मुख्यमंत्री जी नही मिले तब निज सचिव को पूरे मामले सहित आगामी समय में धार जिले में धरना प्रदर्शन करेंगे जिसका जिम्मेदार शासन होगा उल्लेखित पत्र सौपकर आया था। अब तक न्याय नही मिलने पर समस्त शाखा स्थलों पर पीड़ितो के साथ चर्चा कर 18 सितंबर को राजगढ़ व 13 अक्टूम्बर को दसई में मौन धरना प्रदर्शन किया था। तब भी जिला प्रशासन ने कोई खोज खबर नही ली बल्कि, शासन-प्रशासन के लोगों ने सत्ता पक्ष के फरार लोगों को बचाने हेतु आंदोलन को कमजोर व भ्रमित करने का काम किया। क्रमबद्ध आंदोलन जारी रखते हुए दिनांक: 28 अक्टूम्बर 2020 बुधवार समय: दोपहर 3 बजे से स्थान: बड़केश्वर महादेव मंदिर, टंकी के पास ग्राम बिड़वाल तह. बदनावर जिला धार में अनिश्चिकालीन उपवास पर जमाकर्ता पीड़ितों के साथ बैठा।
स्थानीय व जिला प्रशासन सहित जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को हम हर बात से अवगत करवाते हुए लगातार पत्र लिख कार्यवाही की मांग करते रहे। लोकतंत्र की व्यवस्था वाले हमारे देश में शासन व प्रशासन ने विषय की गम्भीरता को समझकर पीड़ितों से बातचीत कर निराकरण के बजाय उपवास के पहले ही दिन नायब तहसीलदार को भेजकर धमकाने का काम करते हुए बोले उठ जाओ नही तो उठा ले जाएंगे। जिसके बाद लगातार 4 दिनों तक प्रशासन के किसी भी अधिकारी या स्वास्थ्य विभाग ने उपवास स्थल पहुँचकर सुध नही ली। अब 4 दिन उपवास के हो रहे थे तब सत्ता पक्ष व विपक्ष के प्रत्याशी व नेता उपवास स्थल पर पहुँचे, आश्वासन देकर गए और गरीब, छोटे किसान, मजदूर, बुजुर्ग, छोटे व्यापारी पीड़ित जमाकर्ताओं के आग्रह पर उपवास खत्म किया। तमाम घटनाक्रम पर समस्या के निराकरण के बजाय जिला कलेक्टर आलोक सिंह सत्ता पक्ष के दबाव या निजी स्वार्थ के चलते हमारी आवाज़ व मांग पर निर्णय न करते हुए दबा रहे है जिससे इनकी भूमिका संदेह के घेरे में है। पाटीदार ने बताया कि, इस स्थिति में दिनांक 03 नवम्बर 2020 मंगलवार को धार जिले में हो रहे बदनावर विधानसभा के उपचुनाव निष्पक्ष होंगे ऐसी उम्मीद कम ही है। आप से अनुरोध है कि, लोकतांत्रिक व्यवस्था में अब हमारे अधिकारों की रक्षा करने हेतु व चुनाव निष्पक्षता से हो इस और अत्यावश्यक शीघ्र कार्यवाही करें। जब तक न्याय व मांग पूरी नही होगी तब तक संघर्ष जारी रहेगा। आगामी समय में होने वाले क्रमबद्ध आंदोलन का जिम्मेदार शासन-प्रशासन होगा।
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