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Agri Bharat Samachar -  Indore, Jhabua and MP Hindi News

अग्रि भारत समाचार से तहसील प्रतिनिधि कौस्तुभ व्यास की रिपोर्ट

Immersion of ego is the necessary measure for the unity of the society ... Jinendramuniji.

थांदला । जैन सन्त प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी मसा के सानिध्य में आयोजित रविवारीय धार्मिक कक्षा में श्री जिनेन्द्रमुनिजी में संघ व समाज के महत्व पर बतलाया कि समूह में रहते हुए बड़े परिवारों की तरह निभना व निभाना का गुण व्यक्ति को सहनशील बनाता है। अहंकार का विसर्जन किये बिना व्यक्ति में बड़ो के प्रति विनय और छोटो के प्रति वात्सल्य भाव उत्पन्न नही होगा। यही भाव जीवन के किसी भी क्षेत्र में व्यक्ति को सफल बनाता है। ऐसे गुणी लोगो से परिवार हो या समाज संगठित रहता है।


युवा सन्त श्री गिरिशमुनिजी ने संघ की महिमा का बखान करते हुए कहा की चतुर्विध संघ के निर्माता तीर्थंकर भगवान होते है,संघ की अशातना तीर्थंकरों की अशातना है।साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका से मिलकर धर्मसंघ का निर्माण होता है।संघ में हमे भी गौरवपूर्ण स्थान मिला है, इस व्यवस्था में धर्माराधना का अवसर प्राप्त हुआ है। संघ के प्रति हमारे क्या दायित्व है उसे भलीभांति समझ कर अपना व्यवहार होना चाहिए। संघ से अपेक्षाए तो रखते है परन्तु संघ को मैने क्या दिया, मेरे क्या कर्तव्य है पहले उस पर चिंतन करे।संघ की कभी निंदा नही करना, सुई की तरह सभी को जोड़कर रखना न कि कैची बन कर दो भाग करना। साधर्मी सेवा,भक्ति का गुण संघ की शोभा है।संघ के विकास व मजबूती के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। युवा संघ की शक्ति है युवाओ का जोश और बुजुर्गों का होश दोनों का समन्वय संघ को मजबूत करता है।एकता में संगठन की ताकत है। तिनका-तिनका मिलकर झाड़ू बनकर घर का कचरा साफ करती है परन्तु जब तिनके बिखर जाए तो स्वयं कचरा बन जाते है। अंगूर के गुच्छे की कीमत होती है,बिखरे अंगूर की नही। मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर फेंकने वालो को भागना पड़ता है और पशु पर पत्थर फेको तो पशु को भागना पड़ता है।संगठित समाज की ताकत के सामने सब झुकते है। संघ-समाज मे रहते हुए समय समय पर योगदान दीजिए।

इस अवसर पर धर्मसभा में खिरकिया,खरगोन,रतलाम,सैलाना, रावटी, बखतगढ़,बदनावर,मुलथान,दोहद आदि स्थानों के श्रद्धालु उपस्थित थे। धर्मसभा में श्री अभयमुनिजी, शुभेषमुनीजी, साध्वी निखिलशीलाजी का सानिध्य भी प्राप्त हुआ।

कार्यक्रम का संचालन अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत ने किया। प्रभावना रमेशचंद्र व्होरा द्वारा वितरित की गई।



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