अग्रि भारत समाचार से फरहान कपड़िया
कलेक्टोरेट पर प्रदर्शन एवं घेराव।
इंदौर । ABVP इंदौर द्वारा ”इंटीग्रेटेड यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम IUMS” के विरोध में कल दिनांक 17 अक्टूबर 2020 को दोपहर 12 बजे इंदौर कलेक्टोरेट पर प्रदर्शन एवं घेराव।
तथ्य:
-सभी विश्वविद्यालय अपने आप मे एक स्वायत्त बॉडी (Entity) होते हैं ।
विश्वविद्यालय का कार्य अनुसंधान का है न कि Data सर्विस प्रोवाइडर का।
आज की स्थिति देखें तो किसी भी विश्वविद्यालय के प्रवेश, परीक्षा व परिणाम समय पर नहीं हो पा रहे हैं ऐसे में सभी को एकीकृत करना यह आनेवाले समय में और भी गंभीर समस्या पैदा करेगा। व्यवस्थाओं को डिजिटल करना अच्छी बात है पर उस हेतु आत्मनिर्भर न होकर किसी और पर आधारित हो जाना यह विश्वविद्यालय के विकास में बाधा समान है।
-आज भी प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के पास उस हेतु पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। उदाहरण स्वरूप बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के इंजीनियर यूनिट ने इंटरनेट सुविधा नहीं है।
आर.जी.पी.वी के अनुसार यह कार्य विद्यार्थियों के इन्टरशिप के माध्यम से भी होना है, उसमें इन में प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर की भूमिका क्या होगी?
-सभी विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के डेटा के सुरक्षित होने की गारंटी क्या होगी? अभी भी कुलपतियों के पास इसका संतोषजनक उत्तर नहीं है। विश्वविद्यालय के कुलपति, बिना कार्यपरिषद की अनुमति के किसी भी MOU पर कैसे सहमति दे सकते हैं?
-क्या कुलपतियों के ऊपर कोई दबाव बनाया जा रहा है?
-आत्मनिर्भर भारत मे विश्वविद्यालयों को स्वयं अपनी व्यवस्था बनाने हेतु आत्मनिर्भर बनने का कोई अवसर है कि नहीं।
-हम आज तक सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में समानता नहीं ला सके, सभी रिक्त शैक्षिक व गार-शैक्षणिक पदों पर भर्ती नहीं कर सके।
-विश्वविद्यालय को सालाना मिलने वाले अनुदान में पिछली सरकार ने कटौती की है।
-ऐसे में हम कैसे इन स्वप्नों को साकार होते हुए देख सकते हैं।
चिंतनीय विषय:
- समस्त विश्वविद्यालयों को एक प्लेटफ़ार्म पर लाना ख़तरनाक हो सकता है। यदि IUMS सिस्टम फेल होता है तो प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालय एक साथ प्रभावित होंगे।
- सभी विश्वविद्यालयों का नियंत्रण किसी एक विश्वविद्यालय के पास रहेग तो एकाधिकार की समस्या रहेगी।
- उचित यह होगा कि सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी न्यूट्रल हो। तीसरा पक्षकार हो।
- IUMS में अनेक विसंगतियॉ हैं। यह प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिये Tailer Made System होना चाहिये।
-समस्त डाटा चोरी की संभावना- यदि ऐसा कुछ हुआ तो बहुत बड़ी समस्या हो सकती है। डाटा क्लोनिंग की समस्या संभावित है।
- कर्मचारियों (वेतन)/ विद्यार्थियों (स्कालरशिप) आदि का बैंक एकाउंट लिंक होने के कारण भी वृहत धोखाधड़ी की संभावना।
- विश्वविद्यालयों की विभिन्न प्रक्रियाओं में एकरूपता ला सक पाना संभव नहीं होगा। क्योंकि सबकी USP अलग-अलग होती है।
- छात्र हित में प्रवेश से लेकर परीक्षा तक कई विसंगतियॉ समाहित है।
- इस प्रणाली पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। इसे विश्वविद्यालयों के विवेक पर छोड़ना चाहिये। विश्वविद्यालय अपनी सक्षमता के आधार पर विवेचना कर उपयुक्त अवेयरनेस के बाद तकनीकि को ठीक से समझने, नियंत्रण करने की शक्ति के विकास के पश्चात तय करें।
धन्यवाद।
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