पुनर्वास स्थलों का मामला,कई वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हैअधिकारी ।
अग्री भारत सामाचार से गोपाल तेलगे की रिपोर्ट।
निसरपुर । प्रदेश सरकार ने जिस नर्मदा घाटी विकास विभाग के जिम्मेदारों को निसरपुर पुनर्सवास स्थलों को रहने लायक बनाने के लिए जिम्मेदारी सौंपी थी उस विभाग के अधिकारियों के नाक के नीचे लोगो की सुविधाओं के लिए होने वाले निर्माण कार्य घटिया होते रहे ओर विभाग ओर विभाग के तमाम जिम्मेदार सोते रहे जिसके चलते सरकार को पहले इस डूब क्षेत्र में पहले हुए घटिया निर्माण पर करोड़ों खर्च करने पड़े और अब उन घटिया निर्माणों की मरम्मत पर फिर से करोड़ों खर्च करने पड़ेंगे । यहां बात हो रही है निसरपुर पुनर्वास स्थलों पर हुए घटिया कामों की, विभाग के शीर्ष स्तर के अधिकारियों की लापरवाही के चलते चंद वर्षों में इन स्थलों पर बनी डामर की सड़के खस्ताहाल हो गई और अब उन्हीं घटिया सड़कों की मरम्मत के लिए शासन ने इसी विभाग से करोड़ों रुपयों की निविदाएं बुलाई है लेकिन सवाल ये है कि जब पहले करोड़ों खर्च होने के बाद भी निर्माण सही नहीं हुआ तो क्या इन्हीं अधिकारियों के साथ मरम्मत ठीक से हो पाएगी। पूर्व में भी इस विभाग के कार्य एवं गुणवत्ता को लेकर समाचार पत्र में समाचार भी छप चुके हैं परंतु ऊपर से कार्यवाही के नाम पर लीपा पोती कर छोड़ दिया जाता है ।
वर्षों से जमे हुए है अधिकारी।
जानकारी के अनुसार नर्मदा घाटी विकास विभाग में कुछ अधिकारी वर्षों से यही जमे हुए है नर्मदा घाटी विकास विभाग को मलाईदार विभाग माना जाता रहा है सरकार ने डूब प्रभावितों को विस्थापित करने हेतु इसी विभाग के माध्यम से निसरपुर क्षेत्र में करोड़ों रुपए खर्च किए है यही वजह है कि विभाग के कुछ अधिकारी पिछले कई वर्षों से यही जमे हुए है ऐसे में पुनर्वास स्थलों पर गुणवत्ता पूर्वक कार्य कैसे होंगे ये बड़ा सवाल है। जो अधिकारी यहां अंगद की पांव की तरह पेट जमा हुए हैं जनता का कहना है कि यहां पर अपनी सेटिंग के बलबूते पर टिके हुए हैं।
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