अग्री भारत समाचार से कादर शेख की रिपोर्ट ।
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थांदला । फासलों को तकल्लुफ है हमसे अगर हम भी बेबस नहीं बेसहारा नहीं, जैसे ही सब्ज गुम्बज नजर आएगा, सिर झुकने की फुर्सत मिलेगी किसे, खुद ही आंखों से सजदे टपक जाएंगे’ की तर्ज पर अपने पूरे परिवार के साथ मक्का-मदीना की 20 दिनों तक जियारत कर गुलरेज खान व तबरेज खान उनकी फैमिली वापस अपने घर लौटे। गौरतलब है कि हज वेलफेयर सोसाइटी के जिलाध्यक्ष अब्दुल समद खान के दो पुत्र गुलरेज एवं तबरेज खान 9 अगस्त को अहमदाबाद से मक्का व मदीना शरीफ गए हुए थे। गुलरेज खान के साथ उनकी पत्नी उजमा, 5 वर्षीय पुत्र मोहम्मद जोहेब खान, 2 वर्षीय पुत्र मोहम्मद जयान, तबरेज खान, उनकी पत्नी नौरीन, मोहम्मद हसनैन खान उम्र 1 वर्ष भी उमराह कर अपने अपने शहर लौटने पर सदर हशमतुल्लाह खां, मौलाना इस्माइल बरकाती साहब, रफीक शेख, अताउल्लाह खान, नासिर खान, लियाकत खान, इदरीस खान, मंसूर खान, हाजी शाहिद खान निजामी, रुहउल्लाह, हाजी सईद, समेत समाजजनों ने जामा मस्जिद पर पहुंचे तथा जायरीन तबरेज खान व गुलरेज खान का पुष्पमालाओं से स्वागत किया। इस दौरान जामा मस्जिद से जुलूस निकाला जिसमें नाते पढ़ते हुए जायरीनों के घर तक पहुंचे व वहां पर पूरे मुल्क में अमन, शांति व भाईचारे के लिए दुआएं की। उमराह से लौटने पर खान के घर शहरवासियों का आना व लगा रहा व इस दौरान सभी ने जायरीनों को गले मिलकर बधाई दी। इस अवसर पर तबरेज खान ने इस्लाम धर्म के मानने वाले सभी मुसलमानों की यह तमन्ना होती है कि वह अपनी जिंदगी में एक बार मक्का-मदीना का हज या उमराह जरूर करे व रोजे ए रसूल स.अ.व. अपनी आंखों से देखे, मैं व मेरा परिवार खुशनसीब है कि हमनें अपने बच्चों के साथ रोजा ए रसूल देखा। उन्होंने बताया कि मदीना व मक्का पहुंचकर सभी पवित्र स्थानों की जियारते व इबादत की जिससे हमें काफी सुकून मिला। |
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