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अग्रि भारत समाचार से कादर शेख की रिपोर्ट

Thandla Jain Srisangh organized the reception ceremony of Deeksharthi Bhai Suhas Gandhi.

थांदला। भगवान महावीर देव जिन शासन गौरव गुरुदेव उमेशमुनिजी व मुमुक्षु सुहास भाई में एक समानता है और वह है संयम के लिए पराक्रम। श्रमण बने महावीर देव ने संयम में ऐसा पराक्रम दिखाया कि वे सभी कर्म बन्धनों को तोड़कर हमारे भगवान बन गए वही आचार्य भगवंत उमेशमुनिजी ने भी संयम में पराक्रम दिखाकर हमारे ह्रदय पटल पर विराजित हो गए। सुहास भाई ने भी संसार की असारता को पहचानते हुए सम्यग पराक्रम करने को अग्रसर हो रहे है।


उक्त भाव अणुवत्स संयतमुनि ने दीक्षार्थी सुहास गांधी के सम्मान में आयोजित अभिनंनदन समारोह में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहे। पूज्य श्री ने कहा कि संयम मार्ग पर कदम बढ़ाने मात्र से दीक्षार्थी की जयजयकार होने लगी है तब संयम प्रवृत्ति कितनी मंगलकारी होगी यह समझा जा सकता है। उन्होंने कहा नेताओं व अभिनेताओं के गुणगान तो स्वार्थ वश किये जाते है परंतु त्यागी आत्माओं के सम्यग गुणगान से आत्मा अपना संसार घटा लेता है। उन्होंने सभी को उपदेश देते हुए कहा कि द्रव्य अभिनन्दन के साथ भाव अभिनन्दन आने से जीव संसार सागर से पर उतर सकता है। पूज्य श्री चंद्रेशमुनि ने कहा संसार मे अनेक पद प्राप्त करलो फिर भी पद की भूख मिटती नही है जबकि संयमी आत्मा में साधु पद के बाद अन्य पद की चाह ही समाप्त हो जाती है। आपने कहा कि देव दानव यहाँ तक कि चक्रवर्ती सम्राट भी संयम लेने को लालायित रहते है परंतु यह सब को सुलभ नही हो पाता है। आपने गुरु स्तवन के माध्यम से बताया कि सुहास भाई ने संसार के मयाचार को पाप बन्धन जानकर उससे विरत होकर संयम को निर्जरा के रूप में ग्रहण करने का संकल्प लिया है यह उनका सम्यग पुरुषार्थ महान बनने की क्रिया है इसके आगे संसार भी झुक जाता है। पूज्य जयंतमुनि व अमृतमुनि ने भी दीक्षार्थी को आर्शीवाद प्रदान किया। विराजित साध्वी निखिलशीलाजी व दीप्तिश्रीजी ने दीक्षार्थी सुहास भाई को देते है धन्यवाद, धन्य है त्याग तुम्हारा करते जय जयकार के भावना प्रधान स्तवन के माध्यम से दीक्षार्थी को आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर श्रीसंघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत ने संघ अभिनन्दन की शब्दाभिव्यक्ति करते हुए कहा कि समकित से संयम के दरवाजे खुले जाते है और समकित तत्व के सही रूप में ग्रहण करने से आती है। सुहास भाई ने 4 वर्ष के वैराग्य काल में गुरुभगवन्तो के सानिध्य में तत्व के सारे संशय को दूर करते हुए उसे सम्यग रूप में ग्रहण किया है और आगामी 25 अप्रेल को रतलाम में बुद्धपुत्र प्रवर्तक श्री जिनेन्द्रमुनिजी के मुखारविंद से संयम ग्रहण करने जा रहे है, जिसकी सकल श्रीसंघ अनुमोदना करते हुए वीर माता पिता परिजन को भी धन्यवाद देते है कि उन्होंने अपने इकलौते पुत्र को जिनशासन को समर्पित किया है। अभिनन्दन समारोह में वीर बहन ईशा कटारिया व भव्यता गाँधी ने भाई के दीक्षा लेने की बात स्तवन के माध्यम से कहते हुए सभी को रतलाम आमंत्रित किया। मास्टर विरल शाहजी, नीर जैन, इंदु बहन गादिया, अणु आराधना मण्डल ने भी दीक्षार्थी के अभिनन्दन गीत सुनाए। धर्मसभा का संचालन प्रदीप गादिया ने किया। नेचरलगोल्ड ने नवकारसी, मनीष कुमार, स्वीटी मनोज जैन व रुपाली मनीष जैन ने प्रभावना का व कमलेश चोपड़ा परिवार ने आतिथ्य सत्कार का लाभ लिया।

संसार में हर प्रवृत्ति पापकारी है उससे यह जीव अनादि से भटक ही रहा है गुरुदेव के सानिध्य से यह जानकर मैने संयम मार्ग पर जाने का निर्णय लिया। सुहास भाई ने कहा कि उनमें अनके कमजोरी थी लेकिन उन्हें उपकारी गुरुभगवन्तो ने छोटे छोटे नियम देकर उन कमजोरी को ही मेरी ताकत बना दिया इसमें अणुवत्स का 2017 का वर्षावास अहम रहा। इस दौरान उन्होंने कोरोना काल में थांदला संघ के संयम सहयोग के लिए धन्यवाद भी दिया।

जानकारी देते हुए संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि जीवन भर के लिए वैज्ञानिक भौतिक उपकरणों का आजीवन त्याग करने वाले छहकाय जीवों के रक्षक बनकर आगामी महावीर जन्म कल्याणक पर संयम लेने जा रहे सुहासभाई की जयकार यात्रा उनके जयकारों के साथ आडम्बर रहित नयापुरा स्थित जिन मन्दिर से पैदल ही निकली जो आजाद मार्ग पर स्थित पौषध भवन पर धर्मसभा के रूप में परिवर्तित हो गई। इसके पूर्व सकल संघ की नवकारसी का लाभ नेचरलगोल्ड परिवार ने लिया वही उन्होंने पूरे दीक्षार्थी परिवार का अभिनन्दन भी किया। थांदला स्थानकवासी श्री संघ व आल इण्डिया जैन जर्नलिस्ट एसोसिएशन (आईजा) ने दीक्षार्थी एवं परिजन को शाल माला पहनाते हुए अभिनन्दन पत्र भेंट किये। इस दौरान मूर्तिपूजक जैन श्रीसंघ, दिगम्बर जैन श्रीसंघ, तेरापंथ महासभा, अखिल भारतीय चन्दना श्राविका मण्डल, जैन सोशल ग्रुप, अटल सेवा संस्थान, व्होरा व घोड़ावत परिवार ने भी शाला माला द्वारा दीक्षार्थी का अभिनन्दन किया। 


दीक्षार्थी भाई सुहास गाँधी की जयकार यात्रा में स्थानकवासी जैन श्रीसंघ, मूर्तिपूजक श्रीसंघ, दिगम्बर श्रीसंघ, तेरापंथ महासभा, आईजा परिवार, अटल सेवा संस्थान, जैन सोशल ग्रुप, श्री धर्मलता महिला मण्डल, अ भा चन्दना श्राविका मण्डल, अणु आराधना मण्डल सहित अनेक श्रावक श्राविकाओं बच्चों ने भाग लिया व धर्मसभा में विराजित गुरुभगवन्त से अनेक व्रत प्रत्याख्यान ग्रहण किये। गुरुभगवन्त के दर्शन वंदन कर उनकी मंगलकारी मांगलिक श्रवण के साथ समारोह का समापन हुआ।

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