Breaking News
Loading...
Agri Bharat Samachar -  Indore, Jhabua and MP Hindi News

It is necessary to take special care of the heart in order to make the heart work better in cold.

दिल्ली । दिल की बीमारियां भारत में मृत्युदर और बीमारीदर का एक प्रमुख कारण बनी हुईं हैं। लोग अक्सर दिल की बीमारियों के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं, जो कम से कम 25 प्रतिशत मामलों का कारण बनता है। हालांकि, इसका बोझ पहले ही लगातार बढ़ रहा है, लेकिन ठंड ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है। ठंड में शरीर गर्म रहने के लिए हीट की मांग करता है, जिसके कारण व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा भूख लगती है और वह जंक फूड की तरफ भागने लगता है। जब शारीरिक सक्रियता न के बराबर हो और शरीर में कैलोरी की मात्रा ज्यादा हो तो व्यक्ति आलसी और मोटा होने लगता है। शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल और लिपिड स्तर बढऩे लगता है। यह सब दिल के काम को बढ़ाते हैं, जिसके कारण दिल को खून पंप करने के लिए ज्यादा महनत करनी पड़ती है। हालांकि, स्वस्थ आबादी बदलते मौसम की इस मार को सहन कर सकती है, लेकिन जो लोग हृदय रोगों से ग्रस्त हैं या हो सकते हैं, उनमें ऐसे लक्षण नजर आने लगते हैं, जिनके लिए मेडिकल हस्तक्षेप जरूरी हो जाता है।
हृदय रोगों में वृद्धि के प्रमुख कारण

ठंड में शरीर को गर्म रखने की प्रक्रिया में ब्लड वेसल्स सिकुडऩे लगती हैं। इससे बीपी बढ़ता है और दिल पर अधिक दबाव पड़ता है।

शरीर को गर्म रखने के लिए खाने की तलब उठती है, जिसके कारण हम हाई कैलोरी वाली चीजों की तरफ भागते हैं। ये खाना हमारा वजन, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। ये सभी चीजें दिल के काम को बढ़ाकर दिल को खतरे में डालती हैं।

सर्दियों में अत्यधिक शराब और धूम्रपान भी कई समस्याओं का कारण बनते हैं।
ठंड के मौसम में रेस्पायरेटरी संक्रमण बहुत होता है, जो सूजन, जलन और क्लॉट का कारण बनता है। कोविड की बीमारी के दौरान कई मरीज हार्ट अटैक का शिकार बन चुके हैं।
शुरुआती लक्षणों को कैसे पहचानें?

यह जरूरी नहीं कि सभी हृदय रोगियों को सीने में दर्द की समस्या ही होगी। इसके लक्षण हर मरीज में भिन्न हो सकते हैं और दर्द भी हल्का से गंभीर हो सकता है। कुछ मरीजों को न के बराबर दर्द होता है, तो कुछ को थोड़ी और कुछ को असहनीय दर्द के साथ सीने में भारीपन और जकडऩ का अनुभव होता है। ये सभी लक्षण हाथों, जबड़ों, पीठ या पेट तक फैल सकते हैं और साथ ही मरीज को सांस लेने में मुश्किल होती है। चूंकि, शुरुआती निदान के साथ सफल इलाज संभव है, इसलिए हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षणों की पहचान होना आवश्यक है। सीने में भारीपन और असहजता या सांस लेने में मुश्किल होने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करना जरूरी है।
हार्ट अटैक कब आता है?
जब धमनियां क्लॉट के कारण बंद हो जाती हैं, तो हृदय के उस हिस्से में रक्त प्रवाह रुक जाता है। यह हार्ट अटैक का कारण बनता है।

समय पर निदान सफल इलाज की कुंजी है
शुरुआती निदान के साथ इलाज समय पर हो पाता है। यदि हार्ट अटैक के कुछ ही घंटों में मरीज का इलाज शुरू हो जाता है, तो ऐसे में उसका हृदय सामान्य रूप से काम करने लगता है और मरीज की जान बचाना भी संभव हो पाता है।


ठंड में दिल की समस्याओं का प्रबंधन
हालांकि, कोरोनरी हार्ट डिजीज को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन सही इलाज के साथ इसके लक्षणों पर काबू पाया जा सकता है, हृदय की कार्यप्रणाली में सुधार आता है और हार्ट अटैक जैसी घातक समस्याओं की संभावना कम हो जाती है। इसके प्रभावी विकल्पों में जीवनशैली में बदलाव, दवाइयां और नॉन-इनवेसिव इलाज शामिल हैं। जीवनशैली में कुछ सरल बदलाव जैसे कि स्वस्थ-संतुलित आहार, शारीरिक सक्रियता, नियमित व्यायाम, धूम्रपान नहीं करना और कोलेस्ट्रॉल और शुगर लेवल को नियंत्रित करना आदि शामिल हैं। इससे सीएचडी, स्ट्रोक और डिमेंशिया आदि के अलावा अन्य बीमारियों का खतरा भी कम होता है। अपना वजन सही रखें, ओवरईटिंग न करें। हाई कैलोरी और अधिक वसा वाले खाने, शुगर ड्रिंक्स और बहुत ज्यादा मिठाइयों से परहेज करें।

  • हर दिन 30-40 मिनट एक्सरसाइज या वॉक करें।
  • शराब का अत्यधिक सेवन न करें और धूम्रपान को पूरी तरह न कह दें।
  • पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
  • गर्म कपड़े पहनें।
ठंड में बीपी बढ़ता है इसलिए दवाइयों की डोज बढ़ानी पड़ सकती है।
हार्ट फेलियर का सबसे आसान और एकमात्र तरीका स्वस्थ जीवनशैली और स्वस्थ आहार का पालन करना है। मोटापा, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ावा देने वाली जीवनशैली और आहार से दूर रहें। हार्ट फेलियर या कार्डियो वस्कुलर डिजीज का मतलब है कि आपका दिल स्वस्थ नहीं है। दिल बेहतर तरीके से काम करे इसके लिए दिल का खास ख्याल रखना जरूरी है। अधिकांश देशों में हृदय रोग मृत्यदर का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। लेकिन अच्छी बात यह है कि स्वस्थ जीवनशैली के साथ इसकी रोकथाम संभव है।

डॉ. बलबीर सिंह
चेयरमैन, कार्डियक साइंसेस
मैक्स हॉस्पिटल, साकेत दिल्ली


Post a Comment

Previous Post Next Post