अग्रि भारत समाचार से ब्यूरो चीफ भगवान मुजाल्दा की रिपोर्ट
धार । 18 नवम्बर के रोज हुई सरदार सरोवर पुनर्विचार समिति की बैठक म.प्र., महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री की अध्यक्षता में ‘पुनर्वास’ और ‘जलस्तर’ पर चर्चा और निर्णय होना था| नर्मदा बचाओ आंदोलन से सर्वोच्च अदालत में, बांध जबरन पूर्ण जलस्तर तक पूरा करने, हजारों परिवारों को बिना पुनर्वास डूब भुगतने के खिलाफ लगायी याचिका का आदेश दिया, जिसके बाद एक साल तक टालने बाद यह मीटिंग, लॉकडाउन में ही विडियो कांफ्रेंस पर की गयी।
मीटिंग में मध्य प्रदेश ने पुनर्वास के बचे हुए हुए कार्य के लिए 1185 करोड़ और पूर्व में किये खर्च की भरपाई के रूप में 7336 करोड़ की राशि की नर्मदा ट्रिब्यूनल के फैसले अनुसार गुजरात से मांग की। इसमें भू-अर्जन, सुविधा निर्माण, पूल-रास्ते तथा पुनर्वास के लाभ शामिल है। महाराष्ट्र ने मांगी पुनर्वास के बाकी कार्य-जमीन की खरीदी, डूब में आयी जमीन का भू-अर्जन आदि के लिए राशि। लेकिन जब पुनर्वास पूरा होने तक जलस्तर 122 मी. पर रखने की राय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे जी ने रखी तब उसका समर्थन करने के बदले मध्य प्रदेश ने गुजरात और केंद्र शासन से बना बनाया प्रस्ताव रखने पर जलस्तर 138.68 मी. तक बिना पुनर्वास नहीं भरा गया, इस बात का समर्थन किया और गुजरात के हाँ में हाँ भरकर राजनीतिक गठजोड़ पेश की है।
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