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Agri Bharat Samachar -  Indore, Jhabua and MP Hindi News

अग्रि भारत समाचार से रशीदा पीठावाला की रिपोर्ट

Sale of lamps made from Panchagavya started at Ahilya Mata Gaushala  one lakh lamps made on the Prime Minister call to stop the import of Chinese lamps

इंदौर । केसरबाग रोड़ स्थित श्री अहिल्या माता गौशाला जीवदया मंडल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आव्हान पर आत्मनिर्भर भारत एवं ‘वोकल फाॅर लोकल’ की दिशा मे बड़ा कदम उठाते हुए इस बार दीपावली पर पंचगव्य एवं गौमय से एक लाख ऐसे दीपों का निर्माण किया जा रहा है, जो पानी और अग्नि से भी सुरक्षित रहेंगे तथा इनमें किसी तरह के रसायन का प्रयोग नहीं होगा।

इन दीपों के अलावा लक्ष्मी, गणेश, शुभ-लाभ, स्वस्तिक, ओम जैसे शुभ प्रतीकों के साथ वैदिक दीपक भी बनाए गए हैं। इनके निर्माण में गोबर, दूध, दही, गौमूत्र एवं घृत का भी प्रयोग किया गया है। इसके अलावा पांच तरह की पवित्र मिट्टी का उपयोग भी हुआ है। चीन से हर वर्ष आने वाले दीपकों के उपयोग को निरूत्साहित करने और इन दीपों की बिक्री का कुछ अंश गौशालाओं को देने के उद्देश्य से यह अभियान शुरू किया गया है जिसका जबर्दस्त प्रतिसाद मिलने लगा है। अब तक 60 हजार दीपों की बिक्री हो चुकी है। 


आम लोगों के लिए गौशाला परिसर स्थित दुकान पर सुबह 10 से दोपहर 4 बजे तक इन दीपों की बिक्री की जा रही है। गौशाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष रवि सेठी, सचिव पुष्पेंद्र धनोतिया, संयोजक सीके अग्रवाल ने बताया कि दीपावली के इस दौर में हर कोई चाहता है कि महालक्ष्मीजी उसके घर पर विराजमान हो और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें। शास्त्रोक्त एवं पौराणिक तथ्य है कि गौमाता में 33 कोटि देवताओं का वास रहता है वहीं गौमाता के गोबर में तो साक्षात लक्ष्मी का वास माना गया है। इस दीपावली पर पंचगव्य से अहिल्या माता गौशाला पर एक लाख दीपों का निर्माण किया जा रहा है, इसके साथ ही अनेक शुभ प्रतीक भी बनाए जा रहे हैं। 


इनका मूल्य भी आम आदमी की पहुंच में रखा गया है। दीपों का मूल्य औसतन 4 से 5 रू. तथा अन्य प्रतीक चिन्हों के दाम भी काफी किफायती रखे गए हैं। इनके निर्माण मंे पिछले 15 दिनों से 50 से अधिक महिलाएं जुटी हुई हैं। इनकी बिक्री से प्राप्त धनराशि का कुछ भाग कामधेनु गौशाला को भी दान किया जाएगा। इनमें जिन रंगों का प्रयोग किया गया है वे साधारण और रसायनमुक्त रंग हैं। चीन से हर वर्ष बड़ी संख्या में विदेशी और रसायनयुक्त दीपों का आयात होता रहा है लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आव्हान पर इन पंचगव्य से बने दीपों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पूरे देश में उनके एवं राष्ट्रीय कामधेनू आयोग के आव्हान पर इस बार एक करोड़ ग्यारह लाख दीपों का निर्माण करने की योजना क्रियान्वित की जा रही है।


उन्होंने बताया कि इसके पूर्व गणेश उत्सव में गोबर से निर्मित गणेशजी और रक्षाबंधन पर भी कुछ उत्पाद बनाए जा चुके हैं। इसका मुख्य उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत और ‘वोकल फाॅर लोकल’ को प्रश्रय देना है। दीपों के निर्माण के पूर्व ही बड़ी संख्या में विभिन्न संगठनों एवं व्यक्तियों की ओर से आँर्डर मिलना शुरू हो गए हैं। अब तक 60 हजार दीपों की बिक्री हो चुकी है। आम लोगों के लिए इनकी बिक्री गौशाला परिसर स्थित दुकान से शुरू कर दी गई है। प्रतिदिन सुबह 10 से दोपहर 4 बजे तक आम लोग यहां से दीपक एवं अन्य उत्पाद खरीद सकेंगे।

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