अग्री भारत सामाचार से डॉ संतोष वाधवानी की रिपोर्ट।
इंदौर। भाजपा नेता और सांसद प्रतिनिधि डॉ. संतोष वाधवानी ने इंदौर प्रशासन के इस निर्णय का विरोध किया है जिसमें द्वारा यह कहां गया है कि बिना हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चालकों को पेट्रोल नहीं दिया जाएगा। पहली नजर में यह एक सड़क सुरक्षा से जुड़ी पहल लगती है, लेकिन अगर इंदौर की जमीनी हकीकत को देखा जाए, तो यह निर्णय हकीकत से ज़्यादा कागज़ पर फिट बैठता है।
हम, इंदौर के आम नागरिक और ज़िम्मेदार करदाता, इस निर्णय का व विरोध करते हैं , हेलमेट सुरक्षा किससे? गाड़ियों से या गड्ढों से?
भाजपा नेता संतोष वाधवानी ने कहा है कि शहर की अधिकांश सड़कें इतनी टूटी हुई हैं कि गाड़ी से ज़्यादा आदमी गड्ढे में उतर जाता है। शायद प्रशासन ने सोचा होगा कि हेलमेट पहनने से गड्ढों से टकराकर सिर में लगी चोटों से बचा जा सकेगा — तो फिर नियम का नाम बदल देना चाहिए:
गड्ढा-प्रूफ हेलमेट अभियान।
सड़कें हैं इतनी पतली कि हेलमेट से ही बैलेंस बिगड़ जाए, इंदौर की कई सड़कें इतनी सँकरी हैं कि एक हाथ में झोला हो तो दूसरा हाथ गाड़ी चलाने लायक नहीं बचता। ऐसे में हेलमेट पहनकर चलना जैसे टोकरी में संतुलन बना कर रस्सी पर चलने जैसा अनुभव देता है। यह नियम है या नया वसूली अभियान?
इस नियम से सबसे ज्यादा खुश शायद वो लोग होंगे जो कोने में खड़े होकर चालान की रसीद निकाल रहे होंगे।
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