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अग्रि भारत समाचार से कादर शेख की रिपोर्ट

The education taken from Sadhguru transcends the living being.

थांदला । जिन शासन में ज्ञान पंचमी का विशेष महत्व है। इस दिन आराधक नया ज्ञान सीखने के लिए लालायित रहते है व पुराने ज्ञान की आवृत्ति करते है। उक्त धर्म प्रवचन जिन शासन गौरव जैनाचार्य पूज्य श्रीउमेशमुनिजी "अणु" शिष्य प्रवर्तक श्रीजिनेंद्रमुनिजी ने विशाल धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहे। पूज्यश्री ने कहा कि सद्गुरु से प्राप्त किया गया ज्ञान जीव को भव से पार लगा देती है। प्रवर्तक देव ने कहा कि जिस प्रकार गुरु के प्रति सच्ची निष्ठा भक्ति से द्रोणाचार्य की प्रतिमा से भी एकलव्य ने शिक्षा प्राप्त कर ली थी तो फिर सद्गुरु के चरणों में उनकी कृपा से जीव का मोक्ष द्वार खुल जाने में कोई अतिश्योक्ति नही है।


पूज्यश्री ने महामोहनीय कर्म बन्ध के कारणों पर चिंतन फरमाते हुए कहा कि सद्गुरु की निंदा से जीव महामोहनीय कर्म का बन्ध कर लेता है जिससे उसकी भव परम्परा बढ़ जाती है। गौशालक ने भगवान महावीर प्रभु व उनकी वाणी की निंदा कर अपना पतन कर लिया वैसे ही ज्ञान के अहंकार से ज्ञानी की निंदा करने से जीव हानि उठाता हुआ नरक व तिर्यंच का मेहमान बन जाता है। धर्मसभा में युवा गिरिशमुनिजी ने उत्तराध्ययन के 14 वें अध्ययन पर भाव व्यक्त करते हुए कहा कि जीव आलस्य व प्रमाद के कारण धर्म नही करता हुआ निद्रा में रहता है। आगम कहता है कि जो रात्रि  धर्म मे व्यतीत होती है वहीं सफल है,शेष निष्फल है।निद्रा व आहार घटाने से घटते है व बढाने से बढ़ते है इसलिए इस पर नियंत्रण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पिछली रात्रि में धर्म जागरणा करें तो वेगो वेगो मोक्ष में जाता है। महापुरुषों के जीवन के उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि निद्रा त्याग करते हुए धर्म आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। धर्मसभा में विदुषी महासती निखिलशीलाजी आदि ठाणा की उपस्थिति में ज्ञान पंचमी की आराधना करने वालें लगभग 300 तपस्वियों ने उपवास, आयम्बिल, निवि, एकासन आदि तप की आराधना की। 


चातुर्मास काल के 10 दिन शेष होने से विशेष आराधना चल रही है। इसी तारतम्य में अखिल भारतीय चन्दना श्राविका मण्डल ने थांदला में पहली बार लाभ पंचमी के अवसर पर खीर-पुड़ी के सामूहिक एकासन का भव्य आयोजन स्थानीय महावीर भवन पर रखा गया। जानकारी देते हुए डुंगरप्रांत अध्यक्ष इंदु कुवाड़ व किरण पावेचा, स्वीटी जैन ने बताया की थांदला में पहली बार होने वाले भव्य आयोजन में पहली बार 250 से अधिक आराधक केवल एक समय एक ही बैठक पर खीर -पूड़ी व दूध मसालें से एकासन तप कर रहे है। वही ज्ञान पंचमी पर गुरुदेव द्वारा विवेचित साहित्य समकित छप्पनी की परीक्षा का आयोजन भी किया गया जो इस डूंगर मालवा में अभी तक नही हुआ है। उक्त सामूहिक एकासन का लाभ कुमठ परिवार थांदला-उज्जैन द्वारा लिया गया। धर्मसभा का संचालन श्रीसंघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत ने किया वही तपस्वियों के प्रति संघ प्रवक्ता पवन नाहर ललित जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष कपिल पिचा ने आभार व्यक्त किया।


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