अग्रि भारत समाचार रायसेन
नाबालिग के साथ जबरन बलात्कार के आरोपी का जमानत आवेदन निरस्ती।
रायसेन । माननीय विशेष न्यायाधीश पॉक्सो लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, श्री मति सुरेखा मिश्रा गौहरगंज, जिला रायसेन द्वारा आदेश दिनांक 10/10/2020 को पुलिस थाना मण्डीेदीप जिला रायसेन के अपराध क्रमांक 185/2020 अन्तर्गत भादसं धारा 363,366(क),376,376(3),506 भा.द.सं. एवं 3एल/4, पॉक्सो एक्ट के अन्तर्गत लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 थाना मण्डीजदीप नाबालिग का अपहरण और बलात्कार का आरोपी संजय रावत, आयु 20 साल निवासी वार्ड नम्बमर 09 रामनगर गिट्टी फोड मोहल्ला मण्डीदीप तहसील गौहरगंज जिला रायसेन का जमानत आवेदन पत्र अन्त र्गत धारा 439 द.प्र.सं. निरस्त किया गया।
इस मामले में राज्य की ओर से न्यायालय के समक्ष श्री अनिल कुमार तिवारी, विशेष लोक अभियोजक अधिकारी तहसील गौहरगंज जिला रायसेन द्वारा विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा गया और ई-विरोध पत्र प्रस्तुलत किया गया।
अभियोजन कहानी का विवरण इस प्रकार है कि, अभियोजन अधिकारी द्वारा उक्त आवेदन के संबंधी में अपनी आपत्ति प्रस्तु त करते हुए व्यक्त किया गया कि नाबालिग के जबरन अपहरण और बलात्कार के आरोपी द्वारा नाबालिग अभियोक्त्री/पीडिता द्वारा जबरन बलात्कार की रिपोर्ट किए जाने पर मामला पंजीबद्ध किया गया एवं अभियोक्त्री को दस्ततयाव करने पर पूछताछ से पता चला आरोपी संजय रावत माता पिता संरक्षकता से नाबालिग लगभग 15 वर्ष की अभियोक्त्री को ले जाकर उसके साथ जबरन बलात्कार जैसा घृणित अपराध किया गया। प्रथम सूचना रिपोर्ट, केस डायरी के साथ संलग्न दस्तावेजों और पीडिता के कथनों से स्पष्ट होता है कि सम्पूर्ण सत्य है। और इसके अवलोकन द्वारा नाबालिग अभियोक्त्री का अपहरण एवं बलात्कार जैसे अपराध में प्रथम दृष्टया संलिप्तता प्रकट होती है। अत: आरोपी द्वारा गंभीर प्रकृति का अपराध कारित किया गया है। और जमानत पर मुक्त किये जाने की दशा में अभियुक्त द्वारा पुन: इसी भांति का अपराध किये जाने की प्रबल संभावना है।
अत: अभियुक्त को जमानत का लाभ प्रदान नहीं किया जाए। अभियोजन पक्ष की प्रस्तुति के आधार पर न्या यालय द्वारा आरोपी का कृत्य गंभीर प्रकृति का पाये जाने से आरोपी का जमानत आवेदन निरस्त करते हुए आदेश में लिखा गया कि वर्तमान अभियोजन दस्ता वेजों के आधार पर आवेदक के विरूद्ध प्राथमिक तौर पर आरोपी के विरूद्ध गंभीर प्रकृति का अपराध करने का आरोप परीलक्षित होता है। वर्तमान में इस प्रकार के अपराधों में निरंतर हो रही वृद्धि और समाज पर ऐसे अपराधों के पडने वाले दुष्प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए व प्रकरण के तथ्यों एवं परिस्थितियों को तथा अपराध की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए आवेदक/अभियुक्त को जमानत का लाभ दिया जाना किसी भी प्रकार से न्यायोचित प्रतीत नहीं होता। और आरोपी का तृतीय जमानत आवेदन न्यायालय द्वारा निरस्तर किया गया।
Post a Comment