मध्य भारत संपादक अली असगर बोहरा✍️
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झाबुआ । फूलमाल तिराहे पर लगभग एक वर्ष से फोरलेन पर अधूरा निर्माण कार्य अब राहगीरों के लिए फजीहत बन चुका है। फूलमाल तिराहा से झाबुआ-मेघनगर एवं झाबुआ-दाहोद मार्ग को जोड़ता है। पुराना टूलेन मार्ग यहां से गुजरता था, लेकिन फोरलेन का कार्य शुरू हुआ जिसके लिए निर्माण कंपनी ने समीप स्थित एक पहाड़ को खोदा तथा इसकी मिट्टी फूलमाल से झाबुआ एवं दाहोद तिराहे को जोडऩे वाले मार्ग पर डाल दी तथा एक टिलानुमा बना दिया जिससे पूर्व स्थित टूलेन मार्ग इस मिट्टी में दब गया। मिट्टी में दब जाने के बाद फोरलेन निर्माण कंपनी के जवाबदारों ने झाबुआ-मेघनगर मार्ग को व्यवस्थित रूप से नहीं बनाते हुए सिर्फ मार्ग के किनारे पर साफ-सफाई कर रोड चालू कर दिया जिससे इस मार्ग पर वाहन चालने के कारण दिनभर मार्ग धूल के गुबारों से भरा रहता है। मार्ग इतना सकरा हो चुका है इस मार्ग पर फूलमाल तिराहे पर जाम जैसी स्थिति बनी रहती है, एवं हेवी लोडेड वाहन को इस मार्ग पर से गुजरने में काफी मशक्कत करना पड़ती है। तो वहीं दोपहिया वाहन चालक एवं राहगीर को इस मार्ग से जान हथेली पर लेकर निकलते हैं । क्योंकि तिराहे पर कब हैवी लोडेड वाहन आ जाए इसका कोई भरोसा नहीं । वहीं धूल के गुबार से सना मार्ग होने के कारण दोपहिया वाहन चालक दिखाई ही नहीं देते। दिनभर रोड से उठने वाले धूले के कारण आसपास के ग्रामीण रहवासियों को श्वास लेने में भी तकलीफे हो रही है, लेकिन इन सबके लिए जिम्मेदार कान में रूई डाले हुए हैं। इस मार्ग से जिले के आला अधिकारी भी निकलते हैं लेकिन वे भी नागरिकों की ज्वलंत समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। साथ ही फूलमाल तिराहे पर अब बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो चुका है, जो दुर्घटनाओं को खुला न्योता है, लेकिन फोरलेन कंपनी ने यात्रियों की सुविधा तथा उनकी जिंदगी से कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि होना तो यह चाहिए था कि फोरलेन निर्माण कंपनी को अधूरे पड़े रोड निर्माण कार्य शुरू करने से पहले झाबुआ-मेघनगर को जोडऩे वाले मार्ग का अलग से निर्माण करना था उसके बाद इस मार्ग पर मिट्टी डालनी थी जिससे राहगीरों को परेशानी से जूझना न पड़े। चूंकि रोड निर्माण का कार्य वर्तमान में धीमी गति से चल रहा है, इसलिए राहगीर परेशान है, जाम व रोड से उठ रहे धूल के गुबार से सभी परेशान हैं, लेकिन शायद जिम्मेदारों को इससे कोई सारोकार नहीं है। वे तो सभी कमीशन के झमेले में उलझकर परेशानी बढ़ा रहे हैं। अब देखना यह है कि रोड निर्माण पर यूं ही राहगीर परेशान होकर चलेंगे या फिर प्रशासन इसके लिए कोई सख्ती दिखाते हुए रोड निर्माण के जिम्मेदारों को नसीहत देकर इस मार्ग को व्यवस्थित करवा पाएगा?
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